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AI कमजोर कर रहा बच्चों की रियल फैमिली बॉन्डिंग, मां-पिता से बढ़ रही दूरी

AI and Famil Bonding: भारत ही नहीं दुनियाभर में 40% पैरेंट्स को लगता है कि एआई इमोशनल सपोर्ट ले रहा है और जिसके चलते बच्चों की फैमिली बॉन्डिंग टूट रही है।

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AI and Children

एआई से पढ़ाई बच्चों की फैमिली बॉन्डिंग को कमजोर कर रही है। (AI Image)

AI and Real Family Bonding: लखनऊ की 10 साल की रिया रोजाना एआई ट्यूटर ऐप (AI Tutor App) से मैथ और साइंस सीखती है, लेकिन मां से बातचीत घंटे भर से घटकर अब सिर्फ 15 मिनट रह गई। यह समस्या सिर्फ रिया की नहीं, बल्कि लाखों बच्चों की है।

हालिया नॉर्टन साइबर सेफ्टी रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत में 40% माता-पिता का मानना है कि उनके बच्चे एआई कंपैनियंस (AI Comapanions) से इमोशनल सपोर्ट ले रहे हैं, जिससे रियल फैमिली बॉन्डिंग कमजोर हो रही।

AI बच्चों को एम्पैथी गैप की चपेट में ले सकता है

यूनेस्को की ‘एआई एंड फ्यूचर्स ऑफ एजुकेशन’ रिपोर्ट (2025) चेतावनी देती है कि 2030 तक एआई बच्चों को ‘एम्पैथी गैप’ की चपेट में ला सकता है, जहां कृत्रिम सहानुभूति असली रिश्तों को कमजोर कर देगी।

बच्चों में क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स में गिरावट

भारत में एआई स्क्रीन टाइम से 30% बच्चों में क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स में गिरावट देखी गई, क्योंकि कॉग्निटिव ऑफलोडिंग से समस्या-समाधान क्षमता प्रभावित हो रही। इसके साथ ही बच्चों में डिप्रेशन रेट 15% बढ़ सकता है। ऐसा स्टैनफोर्ड ब्रेनस्टॉर्म लैब स्टडी में पाया गया है। हालांकि, पर्सनलाइज्ड लर्निंग से 20% बेहतर एकेडमिक रिजल्ट्स मिल रहे, जहां एआई इंडिविजुअल नीड्स के अनुसार कंटेंट एडजस्ट करता है।

पैरेंट्स डर रहे हैं कि एआई दोस्त बनेगा या दुश्मन?

यूसीएलए स्टडी बताती है कि एक्सेसिव स्क्रीन टाइम से नॉनवर्बल इमोशनल क्यूज रिकग्निशन 25% कम हो जाता है, जिससे समाज में अकेलापन फैलेगा। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि को-व्यूइंग और लिमिटेड यूज से बैलेंस बनाएं। इसके लिए मशीनी सहानुभूति की जगह असली सहानुभूति पर फोकस करें।

बच्चों में सोशियो-इमोशनल लर्निंग हो रही प्रभावित

यूनेस्को की 2025 रिपोर्ट ‘एआई एंड फ्यूचर्स ऑफ एजुकेशन’ में कहा गया कि एआई सिस्टम्स एम्पैथी मिमिक करते हैं, लेकिन रियल इमोशनल रिस्पॉन्स नहीं दे पाते। इससे बच्चों में सोशियो-इमोशनल लर्निंग प्रभावित होती है। रिपोर्ट सुझाव देती है कि टीचर्स एआई को इंटीग्रेट करें, लेकिन ह्यूमन इंटरैक्शन को प्राथमिकता दें।

भारत में क्रिटिकल थिंकिंग हुई कम, बढ़ रहा डिप्रेशन

माइक्रोसॉफ्ट की 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 30% बच्चों में एआई रिलायंस से क्रिटिकल थिंकिंग 16.5% घटी है। स्टैनफोर्ड स्टडी दिखाती है कि चैटबॉट्स सेल्फ-हार्म सिग्नल्स मिस करते हैं, जिससे टीनएजर्स में डिप्रेशन 15% बढ़ सकता है इसलिए रिस्किलिंग प्रोग्राम्स जरूरी हैं।

एआई-पावर्ड पर्सनलाइज्ड प्लेटफॉर्म जरूरी

मैकिंसे 2025 रिपोर्ट में पाया गया कि एआई-पावर्ड पर्सनलाइज्ड प्लेटफॉर्म्स से स्टूडेंट्स के टेस्ट स्कोर्स 20% सुधरे। खान एकेडमी के पायलट में 30 मिनट वीकली यूज से लर्निंग 20% बढ़ी। यह एडाप्टिव कंटेंट से कमजोर एरियाज पर फोकस करता है।

40 फीसदी पैरेंट्स की क्यों बढ़ रही है चिंता?

नॉर्टन 2025 रिपोर्ट के मुताबिक, 40% पैरेंट्स को लगता है कि एआई इमोशनल सपोर्ट ले रहा, जिससे फैमिली बॉन्डिंग टूट रही। यूसीएलए स्टडी में स्क्रीन-फ्री कैंप से इमोशनल क्यू रिकग्निशन 25% बेहतर हुआ है। समाज में अकेलापन बढ़ेगा, लेकिन को-व्यूइंग से बैलेंस संभव हो सकता है।