
Ashwini Vaishnaw: मोदी सरकार में लगातार दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बने अश्विनी वैष्णव 'रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म' में यकीन रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से 71 मंत्रियों वाले भारी-भरकम मंत्रिपरिषद में भी उन्हें 3-3 बड़े मंत्रालय- रेल और आइटी के अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी दे दिया, उससे सरकार में उनकी उपयोगिता का पता चलता है। मोदी कैबिनेट में अश्विनी वैष्णव एक ऐसे ऑलराउंडर हैं, जो हर उस क्षेत्र का अनुभव रखते हैं, जहां पहुंच पाना किसी का सपना होता है। आइआइटियन भी रहे हैं, आईएएस भी रहे हैं और बाद में सफल एंटरप्रेन्योर भी बनकर दिखाया। जब 2019 में राज्यसभा सदस्य बनकर राजनीति में उतरे तो दो साल के अंदर 2021 में ही सीधे कैबिनेट मंत्री भी बन गए। तकनीक, प्रशासन और प्रबंधन की समक्ष के सहारे उन्होंने मोदी कैबिनेट में गहरी छाप छोड़ी है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी का भरोसा बरकरार रहा है। कम्युनिकेशन मास्टर होने के कारण इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें सरकार का प्रवक्ता माने जाने वाले सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का जिम्मा भी सौंपा है।
राजस्थान के पाली जिले में 18 जुलाई 1970 को जन्मे अश्विनी वैष्णव का परिवार बाद में जोधपुर में बसा। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई जोधपुर के ही सेंट एंथोनी कान्वेंट से हुई और फिर यहीं के एमबीएम कॉलेज से 1991 में उन्होंने गोल्ड मेडल के साथ इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग में वैष्णव ने एमटेक किया और 1994 में सिविल सर्विसेज एक्जाम में 27 वीं रैंक के साथ ओडिशा काडर के आइएस बने।
1999 में ओडिशा में भयंकर तूफान आया था। तब बालासोर में कलक्टर रहते हुए वैष्णव ने आपदा प्रबंधन का शानदार मॉडल पेश कर हजारों लोगों की जान बचाई थी। समय रहते उन्होंने जनता को प्रभावित इलाके से बाहर निकाला था। तब केंद्र की वाजपेयी सरकार तक उनके कार्यों की शोहरत पहुंची थी।
ओडिशा में बतौर कलेक्टर अच्छे अफसर की पहचान के कारण 2003 में वाजपेयी के शासनकाल में वैष्णव की नियुक्ति पीएमओ में डिप्टी सेक्रेटरी के रूप में हुई। यहां पीपीपी मोड में कार्य का उनका मॉडल सुर्खियों में रहा। एनडीए सरकार के 2004 में सत्ता से हटने के बाद वैष्णव, अटलजी के प्राइवेट सेक्रेटरी बनकर काम करते रहे। उन्होंने 2008 में अध्ययन अवकाश लेकर अमेरिका के व्हार्टन स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए की पढ़ाई की और 2009 में आईएएस से वीआरएस लेकर प्राइवेट सेक्टर में चले गए। कुछ कंपनियों में काम का अनुभव लेने के बाद 2012 में उन्होंने दो कंपनियां बनाई जिनकी गुजरात में मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट रही।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के कार्यकाल में 34 वंदे भारत ट्रेनें चलीं। सिर्फ एक साल में 5,200 किलोमीटर नई पटरियां बिछाने का रिकॉर्ड भी बना, जो स्विट्जरलैंड के पूरे नेटवर्क के बराबर है। पहले जहां 4 किमी प्रतिदिन रेल पटरी बन रही थी, अब 15 किमी प्रतिदिन कार्य हो रहा है। रेलवे के 40 हजार डिब्बों में वंदे भारत तकनीक पर कार्य चल रहा है। आईटी में भी कई काम हुए।
रेल हादसों को रोकना, खाली पड़े पदों को भरना
ट्रेन टिकट वेटिंग सिस्टम खत्म करना
नए आईटी कानूनों का पालन
रेलवे में करीब 11 लाख करोड़ रुपये के निवेश का टारगेट हासिल करना
Published on:
05 Jul 2024 12:03 pm
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