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अयोध्या राम मंदिर : सोने के धागे से बनेंगे रामलला का वस्त्र, जानिए इनकी खासियत

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा, "अलग-अलग स्थानों के लोग भगवान राम लला के लिए वस्त्र बना रहे हैं।

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अयोध्या के राम मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं। रामलला के लिए देश के लिए अलग-अलग शहरों में वस्त्र बनाए जा रहे हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी ने बताया कि पुणे में सोने के धागे से रामलला के वस्त्र तैयार किए जा रहे हैं। इनकी खास बात यह है कि इसे कई लोग बुनकर तैयार कर रहे हैं। ये लोग आकर दो-दो धागे बुनते हैं। उन्होंने बताया कि इन वस्त्रों में से जो भी अच्छा लगेगा, उसे रामलला को पहनाया जाएगा। रामलला के वस्त्र 22 दिसंबर तक तैयार हो जाएंगे। राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी, 2024 को होगा। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित करीब सात हजार लोगों को आमंत्रित किया गया है।


सर्वश्रेष्ठ मूर्ति का चयन 15 दिसंबर को

मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करने के लिए रामलला की मूर्ति 15 दिसंबर तक बनकर तैयार हो जाएगी। रामलला (भगवान राम के बाल स्वरूप) की तीन मूर्तियां बनवाई जा रही हैं। इनमें से एक मूर्ति को राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। 15 दिसंबर को मंदिर न्यास की धार्मिक समिति इनमें से प्राण प्रतिष्ठा के लिए सर्वश्रेष्ठ मूर्ति का चयन करेगी।

मूर्तियों की फिनिशिंग का काम चल रहा

रामलला की मूर्तियों का निर्माण देश के तीन मूर्तिकार कर रहे है। निर्माण कार्य पूरा हो गया है। अब फिनिशिंग का काम चल रहा है। इनमें दो मूर्तिया पांच साल के बाल रूप में रामलला की श्‍याम रंग की है जबकि एक संगमरमर की है। मंदिर ट्रस्‍ट इनमें से सबसे लुभावली प्रतिमा का चयन गर्भगृह में प्राण प्रतिष्‍ठा के लिए चयन करेगा। रामलला के दर्शन के लिए 45 दिनों तक 25 हजार श्रद्धालुओ को रोजाना बुलाया जाएगा।

जोधपुर से बैलगाड़ी से पहुंचा 600 KG गोघृत

जोधपुर के ओम महाऋषि संदीपनी रामराज आश्रम से बैलगाड़ी से 600 किलो गाय का घी 108 कलशों में भर कर अयोध्या भेजा गया है। रामलला की स्थापना के अवसर पर रामलला के सामने जलने वाली ज्योति व प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के अनुष्ठान में इस गोघृत का प्रयोग किया जाएगा। स्‍वामी ओम महाऋषि ने मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि को गोघृत सौंपा। स्‍वामी गोविंद देव गिरि ने कहा कि गाय का घी सबसे शुद्ध माना गया। इसका जिक्र आयुर्वेद की प्रमुख औषधियों में किया गया है।

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थाइलैंड से आई मिट्टी, कंबोडिया से हल्‍दी

स्‍वामी गोविंद देव गिरि ने कहा कि राम मंदिर के लिए विदेश से भी अनेक दुर्लभ सामग्रियां भेजी जा रही हैं। थाईलैंड में भी अयोध्‍या नगरी है। उनके राजा का नाम भी राम ही है। उस नगरी की मिट्टी भी उपहार स्वरूप भेजी गई है। इसके अलावा कंबोडिया से हल्‍दी भेजी गई है जिसकी सुगंध केसर की तरह है। यह हल्दी मंदिर ट्रस्‍ट को मंगलवार को प्राप्‍त हुई है, जिसे प्राण प्रतिष्‍ठा कार्यक्रम में शामिल करने का अनुरोध किया गया है।

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