
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के आंबेडकर को दिए गए बयान पर देश की सियासत में संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है। अमित शाह इस्तीफे या कैबिनेट से बाहर किए जाने को लेकर मोदी सरकार (BJP Government) से मांग कर रही है। हालांकि इस मामले में बीजेपी (BJP) भी फ्रंटफुट पर हैं और कांग्रेस पर आधे वीडियो को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाते हुए इतिहास भी याद दिला रही है। पीएम मोदी (PM Modi) ने इतिहास का जिक्र करते हुए आरोप लगाया है कि आंबेडकर को कांग्रेस पार्टी ने चुनाव नहीं जीतने दिया था। लेकिन अब हाल ही में भाजपा नेता चालावडी नारायणस्वामी का विसदेव सामने आ रहा है जिसमे वह "कांग्रेस की बैठक वास्तव में बाबासाहेब अंबेडकर के सिद्धांतों के खिलाफ बताते नजर आ रहे है।
इस मामले में बीजेपी भी फ्रंटफुट पर हैं और कांग्रेस पर आधे वीडियो को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाते हुए इतिहास भी याद दिला रही है। पीएम मोदी ने इतिहास का जिक्र करते हुए आरोप लगाया है कि आंबेडकर को कांग्रेस पार्टी ने चुनाव नहीं जीतने दिया था।'
विधान परिषद में विपक्ष के नेता और भाजपा नेता चालावडी नारायणस्वामी ने कहा, "कांग्रेस की बैठक वास्तव में बाबासाहेब अंबेडकर के सिद्धांतों के खिलाफ है। गांधीवाद और अंबेडकरवाद एक नहीं हैं। समाज ने कई मौकों पर अंबेडकर को याद किया, लेकिन कांग्रेस अभी भी वोट बैंक की खातिर उनके नाम का इस्तेमाल करती है। महात्मा गांधी भी इन नकली गांधीवादियों से अलग हैं। AICC अध्यक्ष हाईकमान को खुश करना चाहते हैं, वह प्रियंका गांधी को 'कित्तूर रानी चेन्नम्मा' कहते हैं। राजनीति में उनका क्या त्याग है? वह अभी राजनीति में आई हैं। वह सत्ता के लिए भिखारी की तरह काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी के भीतर लड़ाई है, एक तरफ श्री डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और दूसरी तरफ डॉ जी परमेश्वर, साथ ही सतीश जरकीहोली भी ऐसा चाहते हैं कांग्रेस खुद भारत विरोधी मूड में है।"
कुछ समय पहले अमित शाह बाबा साहब आंबेडकर पर टिप्पणी करते हुए बोले थे, "अभी एक फैशन हो गया है, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर…इतना नाम अगर भगवान का लेते, तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिलता।" शाह के इस 11 सेकंड के वीडियो को तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है और उनपर आंबेडकर के अपमान का आरोप लगाया जा रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने राजयसभा में हार के बाद अंबेडकर ने नतीजों पर सवाल उठाए। पीटीआई की एक रिपोर्ट में 5 जनवरी, 1952 को उनके हवाले से कहा गया कि बॉम्बे की जनता का भारी समर्थन कैसे इतना झूठा साबित हो सकता है, यह वास्तव में चुनाव आयुक्त द्वारा जांच का विषय है।
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Updated on:
22 Jan 2025 03:13 pm
Published on:
22 Jan 2025 03:12 pm
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