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BCI ने एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल 2025 के मसौदे पर जताई आपत्ति, कानून मंत्री को 66 पन्नों का भेजा पत्र

BCI: विदेशी वकीलों और लॉ फर्मों के नियमन को लेकर बीसीआइ ने तर्क दिया कि यह जिम्मेदारी बीसीआइ की होनी चाहिए, न कि केंद्र सरकार की।

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भारत

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Ashib Khan

Feb 20, 2025

Bar Council of India

Bar Council of India

Bar Council of India: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल, 2025 के मसौदे पर गंभीर आपत्ति जताई। बीसीआइ ने मसौदे पर आपत्ति जताते हुए इसे कानूनी पेशे की स्वायत्ता के लिए खतरा भी बताया। बीसीआइ ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को 66 पन्नों का पत्र भेजकर अपनी चिंताएं और सुझाव रखे। मसौदा विधेयक में केंद्र सरकार को बीसीआइ में तीन सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार देने का प्रावधान है, जिसे काउंसिल ने 'मनमाना कदम' करार देते हुए कहा कि यह प्रस्ताव बिना किसी पूर्व चर्चा के शामिल कर दिया गया, जिससे उसकी स्वतंत्रता प्रभावित होगी। पत्र को काउंसिल और विधि मंत्रालय के बीच दरार के रूप में देखा जा रहा है।

एक नहीं, कई आपत्तियां

विदेशी वकीलों और लॉ फर्मों के नियमन को लेकर बीसीआइ ने तर्क दिया कि यह जिम्मेदारी बीसीआइ की होनी चाहिए, न कि केंद्र सरकार की। 2022 में ही बीसीआइ ने विदेशी कानूनी पेशेवरों के लिए व्यापक दिशा-निर्देश तैयार किए थे, इसलिए इस प्रावधान की जरूरत नहीं है। इसके अलावा, विधेयक केंद्र को बीसीआइ को निर्देश जारी करने की शक्ति देता है, जिसे काउंसिल ने 'पूरी तरह अस्वीकार्य' बताया। वहीं, नामांकन शुल्क तय करने का अधिकार सरकार को दिए जाने पर भी आपत्ति जताई गई है।

पत्र में BCI अध्यक्ष ने लिखी ये बातें

बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने पत्र में कहा कि परिषद और मंत्रालय के अधिकारियों के बीच दो दौर की चर्चा हुई थी और प्रमुख मुद्दों पर “स्पष्ट सहमति” बन गई थी, लेकिन जो मसौदा प्रकाशित किया गया था, उसमें सहमत शर्तों से विचलन शामिल था। इस मसौदे के ज़रिए बार की स्वायत्तता और स्वतंत्रता की अवधारणा को ध्वस्त करने का प्रयास किया गया है। पूरे देश में वकील आंदोलित हैं, और कड़ा विरोध प्रदर्शन होना तय है।

‘पूरे देश में विरोध फैल सकता है’

पत्र में लिखा कि अगर इस तरह के जानबूझकर और कठोर प्रावधानों को तुरंत हटाया या संशोधित नहीं किया गया। दिल्ली जिला न्यायालयों के वकील पहले ही हड़ताल पर जा चुके हैं और अगर मंत्रालय की ओर से जल्द ही कोई सकारात्मक आश्वासन नहीं दिया गया तो यह विरोध पूरे देश में फैल सकता है।

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