Bihar Elections: लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने बिहार के चुनावी माहौल में अलग तरह की गर्मी ला दी है। पहले उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के सामने जोशीले अंदाज में कहा था कि वह ‘सम्मान से कम एक सीट पर भी समझौता नहीं करेंगे।’ अब कहा है कि वह खुद लड़ेंगे और सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतार कर एनडीए को मजबूत करेंगे। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि चिराग के इस दावे का कारण उनके पीछे वह समर्थन है जिसमें वे भले ही खुद न जीत पाएं लेकिन वह जदयू का खेल बिगाड़ सकते हैं।
15 साल में लोजपा लगातार कमजोर हुई है। 2005 में 29 सीटें जीतने वाली पार्टी को 2020 में जनता ने एक सीट पर पहुंचा दिया था। पार्टी को मिले मतों का प्रतिशत हर चुनाव में गिरता ही गया है। ऐसे प्रदर्शन के बाद भी चिराग एनडीए को मजबूत करने की बात कह रहे हैं तो इसके पीछे भी कुछ आंकड़े हैं।
पिछले चुनाव में खुद कमजोर होकर भी चिराग ने बीजेपी को मजबूती दी थी। उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ बगावती तेवरों के साथ 137 उम्मीदवार उतार दिए थे। इनमें से जीता तो महज एक लेकिन लोजपा ने नीतीश को करीब 40 सीटों पर झटका दिया था। दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर लोजपा को जदयू उम्मीदवार की हार के अंतर से ज्यादा वोट मिले थे। नतीजन नीतीश का चुनावी प्रदर्शन 15 साल में सबसे खराब रहा था।
बीते तीन चुनावों में जदयू का वोट शेयर व सीटों की संख्या लगातार कम हुई है। इस दौरान नीतीश कुमार की पार्टी ने जहां करीब सात फीसदी वोट गंवाए, वहीं बीजेपी ने करीब तीन प्रतिशत ज्यादा वोट हासिल किए। ऐसे में चिराग का सभी सीटों पर लड़ना बीजेपी के लिए फायदेमेंद हो सकता है।
विधानसभा चुनाव में लोजपा का प्रदर्शन भले ही ‘शर्मनाक’ रहा हो, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में उसकी सफलता सौ फीसदी रही। यह आंकड़ा चिराग को हिम्मत देने वाला है। इस दम पर वह बिहार का नया ‘किंगमेकर’ बनने का सपना भी देख सकते हैं।
Updated on:
10 Jun 2025 01:32 pm
Published on:
10 Jun 2025 11:12 am