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बिहार चुनाव: 15 साल में 29 से एक सीट पर आ गई लोजपा, फिर भी सभी 243 सीटों पर लड़ेंगे चिराग

बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर लोजपा के लड़ने के ऐलान के बाद सवाल यह उठ रहा है कि क्या चिराग पासवान इस बार भी नीतीश को नुकसान पहुंचाने और भाजपा को मजबूत करने के मकसद से मैदान में उतरेंगे?

पटना

Vijay Kumar Jha

Jun 10, 2025

बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान से नीतीश कुमार (दाएं) को चुनौती मिलने वाली है! पत्रिका

Bihar Elections: लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने बिहार के चुनावी माहौल में अलग तरह की गर्मी ला दी है। पहले उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के सामने जोशीले अंदाज में कहा था कि वह ‘सम्मान से कम एक सीट पर भी समझौता नहीं करेंगे।’ अब कहा है कि वह खुद लड़ेंगे और सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतार कर एनडीए को मजबूत करेंगे। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि चिराग के इस दावे का कारण उनके पीछे वह समर्थन है जिसमें वे भले ही खुद न जीत पाएं लेकिन वह जदयू का खेल बिगाड़ सकते हैं।

लगातार कमजोर लोजपा, नीतीश को दिया झटका

15 साल में लोजपा लगातार कमजोर हुई है। 2005 में 29 सीटें जीतने वाली पार्टी को 2020 में जनता ने एक सीट पर पहुंचा दिया था। पार्टी को मिले मतों का प्रतिशत हर चुनाव में गिरता ही गया है। ऐसे प्रदर्शन के बाद भी चिराग एनडीए को मजबूत करने की बात कह रहे हैं तो इसके पीछे भी कुछ आंकड़े हैं।

पिछले चुनाव में खुद कमजोर होकर भी चिराग ने बीजेपी को मजबूती दी थी। उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ बगावती तेवरों के साथ 137 उम्मीदवार उतार दिए थे। इनमें से जीता तो महज एक लेकिन लोजपा ने नीतीश को करीब 40 सीटों पर झटका दिया था। दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर लोजपा को जदयू उम्मीदवार की हार के अंतर से ज्यादा वोट मिले थे। नतीजन नीतीश का चुनावी प्रदर्शन 15 साल में सबसे खराब रहा था।

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जेडीयू ने 7% वोट गंवाए, बीजेपी ने 3% बढ़ाए

बीते तीन चुनावों में जदयू का वोट शेयर व सीटों की संख्या लगातार कम हुई है। इस दौरान नीतीश कुमार की पार्टी ने जहां करीब सात फीसदी वोट गंवाए, वहीं बीजेपी ने करीब तीन प्रतिशत ज्यादा वोट हासिल किए। ऐसे में चिराग का सभी सीटों पर लड़ना बीजेपी के लिए फायदेमेंद हो सकता है।

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चिराग को कहां से मिल रही हिम्मत

विधानसभा चुनाव में लोजपा का प्रदर्शन भले ही ‘शर्मनाक’ रहा हो, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में उसकी सफलता सौ फीसदी रही। यह आंकड़ा चिराग को हिम्मत देने वाला है। इस दम पर वह बिहार का नया ‘किंगमेकर’ बनने का सपना भी देख सकते हैं।