
बिहार विधानसभा चुनाव (Photo-Patrika)
Bihar Elections: चुनाव आयोग (election Commission) ने बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। आज से 121 विधानसभा सीटों पर नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। नामांकन की आखिरी तारीख 17 अक्टूबर है। 18 अक्टूबर को नामांकन की जांच होगी। अभ्यर्थियों के नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर रखी गई है।
पहले फेज का चुनाव 6 नवंबर को होगा, जबकि दूसरे फेज का 11 नवंबर को होगा। 14 नवंबर को नतीजों का ऐलान होगा। पहले चरण में पटना, दरभंगा, मधेपुरा, सहरसा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर, शेखपुरा, नालंदा, बक्सर और भोजपुर जिले की विधानसभा सीटें शामिल हैं।
भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया के सुचारू संचालन के लिए राज्यभर में लगभग 8.50 लाख अधिकारियों की तैनाती की है। इनमें 4.53 लाख मतदान कर्मी, 2.50 लाख पुलिसकर्मी, 28,000 से अधिक मतगणना कर्मी, और 18,000 माइक्रो ऑब्जर्वर शामिल हैं। पहली बार 243 विधानसभा सीटों में सामान्य पर्यवेक्षक तैनात किए हैं। चुनाव पर निगरानी रखने के लिए 38 पुलिस पर्यवेक्षक और 67 व्यय पर्यवेक्षक की भी नियुक्ति की गई है। ये पर्यवेक्षक संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों से नियमित संवाद कर चुनाव प्रक्रिया में किसी भी समस्या का समाधान सुनिश्चित करेंगे।
बांकीपुर सीट (पटना): यहां पर पिछले तीन दशकों से एक पिता-पुत्र की जोड़ी का दबदबा रहा है। नबीन किशोर प्रसाद सिन्हा ने लगातार यहां से चार बार जीत दर्ज की (1995-2006), उनके देहांत के बाद हुए उपचुनाव में बेटे नितिन नबीन (सिन्हा) ने जीते। इसके बाद से वह जीत की लहर पर सवार रहे हैं। नितिन नबीन, प्रदेश बीजेपी के कद्दावर नेता हैं और नीतीश सरकार में मंत्री हैं।
पटना साहिब (पटना): साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई। साल 2010 से लेकर अब तक यहां कुल 3 चुनाव हुए हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के नंद किशोर यादव लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। नंद किशोर वर्तमान में बिहार विधानसभा का अध्यक्ष हैं। बीजेपी उन्हें चौथी बार भी चुनावी मैदान में उतार सकती है।
दीघा (पटना): यहां करीब 4 लाख वोटर हैं। विधानसभा में सवर्ण वोटरों का दबदबा है। कायस्थ वर्ग के मतदाता जीत-हार तय करने की स्थिति में हैं। इसे भी बीजेपी का गढ़ माना जाता है। यहां पिछले तीन चुनाव से जदयू और बीजेपी के उम्मीदवार जीतते आए हैं। दीघा विधानसभा सीट से बीजेपी के संजीव चौरसिया विधायक हैं। महागठबंध ने भी अभी तक तय नहीं किया है कि यह सीट, किस पार्टी को दी जाएगी। पिछली बार यह सीट माले के खाते में गई थी।
दरभंगा शहर: यह मैथिल संस्कृति का केंद्र है। लगातार 25 साल से भाजपा के संजय सरावगी यहां से विधायक हैं। इस बार सरावगी को इंडिया गठबंधन के साथ-साथ जनसुराज के उम्मीदवार भी चुनौती देंगे।
मधेपुरा: रोम पोप का और मधेपुरा गोप (यादव) का नारे से बुलंद इस सीट पर बीते दस साल से राजद के चंद्रशेखर काबिज है। इस बार यहां भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है।
सिमरी बख्तियारपुर: सहरसा जिले की सिमरी बख्तियारपुर भी हॉट सीट में से एक है। 2020 के विधानसभा चुनाव में VIP प्रमुख मुकेश सहनी ने चुनावी ताल ठोकी थी, लेकिन बेहद कम मार्जिन से हार गए। यह सीट से फिलहाल राजद के यूसुफ सलाहुद्दीन विधायक है।
राघोपुर: वैशाली की राघोपुर सीट राजद और लालू परिवार का गढ़ है। तेजस्वी यहां से विधायक हैं। वह इस बार भी यहीं से चुनाव लड़ सकते हैं। जनसुराज नेता पीके के भी राघोपुर से चुनाव लड़ने की संभावना खत्म नहीं हुई है।
हाजीपुर: हाजीपुर विधानसभा सीट पर साल 2000 से ही बीजेपी जीतती आ रही है। साल 2000 से 2014 तक नित्यानंद राय विधायक चुने गए। वहीं, 2014 से अवधेश सिंह यहां विधायक हैं।
लखीसराय: इस सीट से वर्तमान में बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा विधायक हैं। वह लगातार 2010 से चुनाव जीतते आ रहे हैं। यहां भी कड़ा मुकाबला होने की संभावना है।
बिहारशरीफ और राजगीर को नीतीश और जदयू का गढ़ माना जा रहा है। यहां इस बार जनसुराज और राजद दोनों ही पार्टियां अपना दम झोंके हुए हैं। ऐसे में इन दोनों सीटों पर भी कड़ा मुकाबला हो सकता है।
सीट बंटवारे को लेकर NDA में मंथन जारी है। चिराग को मनाने की जिम्मेदारी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नित्यानंद राय को दी है। आज चिराग पासवान और नित्यानंद राय की आधे घंटे मुलाकात हुई। इसके बाद चिराग ने कहा कि सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत अंतिम दौर में है। हमलोग सब चीजें पहले ही क्लियर कर ले रहे हैं। जहां पीएम मोदी हैं, वहां मुझे मेरे सम्मान के लिए सोचने की जरूरत नहीं है।
पूर्णिया से दो बार के सांसद संतोष कुशवाहा आज राजद ज्वाइन कर सकते हैं। राजद उन्हें धमदाहा से विधायक व सीएम नीतीश की खास लेसी सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार सकती है। संतोष साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बेहद कम मार्जिन से पप्पू यादव को हाथों हार गए थे।
Published on:
10 Oct 2025 12:08 pm
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