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BIHAR SIR: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछे कई सवाल, कहा- आधार और राशन कार्ड को प्रूफ में करें शामिल, जानिए EC ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि SIR की प्रक्रिया में कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसे बहुत पहले शुरू किया जाना चाहिए था। SC ने कहा कि SIR की प्रक्रिया में कोई बुराई नहीं है।

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supreme court

supreme court (प्रतीकात्मक फोटो)

Bihar Assembly Election: बिहार में चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट विशेष गहन पनरीक्षण चलाए जाने के विरोध में कई NGO समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रूख किया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में SIR पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन आज की सनुवाई में उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग (Election Commission) से कई जरूरी सवाल पूछे हैं।

SIR में कोई समस्या नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि SIR की प्रक्रिया में कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसे बहुत पहले शुरू किया जाना चाहिए था। SC ने कहा कि चुनाव आयोग का यह कहना कि वह 30 दिनों के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा कर लेगा, यह व्यवहारिक नहीं लगता है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह आधार कार्ड और राशन कार्ड को प्रूफ में शामिल करे। इससे चुनाव आयोग ने इसका विरोध किया है। कोर्ट ने SIR पर रोक लगाने से भी इनकार किया है। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।

चुनाव आयोग से पूछे ये सवाल

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जयमॉल बागची ने सुनवाई करते हुए कहा कि इस प्रक्रिया को काल्पनिक करार देना सही नहीं है। इसमें कुछ हद तक तर्क है। SC ने चुनाव आयोग से पूछा कि आप विशेष पुनरीक्षण के दौरान सवालों में नागरिकता की ओर क्यों जा रहे हैं? जब आधार एक वैध पहचान है तो आप उसे वैध क्यों नहीं मान रहे हैं? जब यह प्रक्रिया पहले भी की जा सकती थी तो इसे इतनी देरी से क्यों शुरू किया गया?

चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर कहा कि यह प्रक्रिया जन प्रतिनिधि वोटर अधिनियम 1950 के तहत वोटर लिस्ट की शुद्धता के लिए कर रही है।

याचिकाकर्ता की ओर पेश, वृंदा, अभिषेक और सिब्बल ने रखी दलीलें

याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुईं सीनियर अधिवक्ता वृंदा ने कहा कि चुनाव आयोग राशन कार्ड तक को मान्यता नहीं दे रहा है, जबकि ये गरीबों के पास सबसे सामान्य पहचान है। कपिल सिब्बल ने कहा कि मेरा सवाल ये है कि नागरिकता तय करने का अधिकार चुनाव आयोग को किसने दिया? इस पर SC ने कहा कि क्या चुनाव आयोग का ये कर्तव्य नहीं कि यह सुनिश्चित करे कि कोई अयोग्य व्यक्ति वोट न डाले? इसके लिए नागरिकता की जांच जरूरी है। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 2003 में जब ऐसा व्यापक पुनरीक्षण हुआ था, तब चुनाव में काफी समय बचा था, लेकिन इस बार चुनाव नजदीक हैं, जिससे लाखों लोगों को सूची से हटाने की आशंका है।

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वकील ने क्या कहा?

चुनवा आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि वोट देने का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों के पास है। आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है। इसलिए उसे मान्य नहीं किया गया। चुनाव आयोग की इस दलील पर जस्टिस धुलिया ने कहा कि तब आपको यह प्रक्रिया बहुत पहले शुरू कर देनी चाहिए।

विपक्षा का है ये आरोप

बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर गैर सरकारी संगठन ADR सहित 9 राजनीतिक दलों ने इस पर रोक लगाने को लेकर याचिका दाखिल की है। केरल से आने वाले कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल, सीपीआाई के डी राजा, तमिलनाडु में सत्ताधारी पार्टी DMK, उत्तर प्रदेश के सपा नेता हरिंदर मलिक, महाराष्ट्र के शिवसेना (UBT) नेता अरविंद सावंत, झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झामुमो के नेता सरफराज अहमद और भाकपा माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने SIR पर रोक लगाने को लेकर याचिका दाखिल की है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग संविधान का उल्लंघन कर रहा है। वह गुप्त तरीके से NRC लागू कर रहा है।