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तमिलनाडु में NDA की वापसी! BJP ने तैयार किया फ्यूचर प्लान, AIADMK के साथ हाथ मिलाया

BJP-AIADMK Alliance: तमिलनाडु विधानसभा चुनाव अन्नाद्रमुक और बीजेपी मिलकर लड़ेगी। चेन्नई में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह ऐलन किया है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन टूट जाने की कीमत दोनों दलों को चुकानी पड़ती थी। पढ़िए नवनीत मिश्र की खास रिपोर्ट...

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BJP-AIADMK Alliance: पिछले लोकसभा चुनाव में गठबंधन टूटने से तमिलनाडु में हुए नुकसान से सबक लेते हुए भाजपा ने 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए के 'घर' को जोड़ने का दांव चला है। गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को चेन्नई दौरे पर अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन का ऐलान किया। उन्होंने अन्नाद्रमुक महासचिव के. पलानीस्वामी के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस में 1998 से दोनों दलों के पुराने रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी और जयललिता ने मिलकर राष्ट्रीय राजनीति में काम किया है। अब एक एक बार फिर भाजपा, अन्नाद्रमुक और अन्य साथी मिलकर चुनाव लड़ते हुए 2026 में तमिलनाडु में एनडीए की सरकार बनाएंगे।

नागेंद्रन प्रदेश अध्यक्ष, दिल्ली में दिखेंगे अन्नामलै

एआईएडीएमके के साथ कटु रिश्ते रखने और जातीय समीकरणों में फिट न बैठने के कारण भाजपा ने तेजतर्रार प्रदेश अध्यक्ष साबित होने के बावजूद अन्नामलै की जगह नैनार नागेंद्रन को प्रदेश प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी है। विधायक नागेन्द्रन पहले एआइएडीएमके में थे और जयललिता के निधन के बाद वे भाजपा में शामिल हुए थे। सूत्रों के मुताबिक, एआइएडीएमके महासचिव पलानीस्वामी और अन्नामलै दोनों एक ही गौंडर जाति से रहे, इसलिए पार्टी ने दूसरे प्रभावशाली थेवर समुदाय से आने वाले नागेंद्रन को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एनडीए की सोशल इंजीनियरिंग मजबूत की है।

गृहमंत्री शाह ने एक्स पोस्ट में अन्नामलै का उपयोग पार्टी के नेशनल फ्रेमवर्क में किए जाने की बात कही। सूत्रों का कहना है कि उनका सरकार या संगठन में समायोजन हो सकता है। 40 वर्षीय अन्नामलै को भाजयुमो का अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है।

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इसलिए गठबंधन को हुए मजबूर

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन टूट जाने की कीमत दोनों दलों को शून्य सीट पाकर चुकानी पड़ती थी। एआईएडीएमके को 23 और भाजपा को 18 प्रतिशत वोट मिले थे। दोनों दल मिलाकर 41.33 प्रतिशत वोट पाने में सफल रहे थे, जबकि सत्ताधारी डीएमके नेतृत्व इंडिया गठबंधन सिर्फ 5 प्रतिशत अधिक 46.97 प्रतिशत वोट हासिल कर सभी 39 सीटें जीतने में सफल रहा था।

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अगर भाजपा और एआईडीएमके मिलकर लड़ते तो 12 सीटों पर संभावनाएं बन सकतीं थीं। भाजपा को लगा कि अकेले लड़ने पर उसे राज्य की सत्ता में आने में लंबा इंतजार करना पड़ेगा। सत्ताधारी डीएमके हिंदी, हिंदुत्व और उत्तर बनाम दक्षिण भारत के नैरेटिव के जवाब में भाजपा नेतृत्व को लगा कि एआईएडीएमके की सत्ता और उसमें भाजपा की भागीदारी जरूरी है।