मौलाना ने सरकार के साथ-साथ आरएसएस पर भी हमला बोला, उन्होंने कहा कि सभी लोग राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र को मजबूत करने की बात करते हैं, लेकिन नफरत के मुद्दे पर खामोश रहते हैं। मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश में नफरत का कारोबार करने वालों की दुकानें ज्यादा दिन तक चलने वाली नहीं है। नफरत की दुकान खोलने वाले और नफरत का बाजार सजाने वाले लोग देश के दुश्मन हैं। नफरत का जवाब कभी नफरत नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि हमें सबसे ज्यादा प्यार इस देश की शांति से है। इसलिए हम राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र मजबूत करने की बात करते हैं।
इस दौरान महमूद मदनी भावुक भी हो गए और उन्होंने कहा कि मुसलमानों का चलना तक मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि, हमें हमारे ही देश में अजनबी बना दिया गया है। लेकिन जो एक्शन प्लान वो लोग तैयार कर रहे हैं, उस पर हमें नहीं चलना है। उन्होंने कहा कि हम आग को आग से नहीं बुझा सकते हैं। नफरत को प्यार से हराना होगा।
जमीयत की ओर से ये भी आरोप लगाया गया है कि देश पहले कभी इतना प्रभावित नहीं हुआ था जितना अब हो रहा है। आज देश की सत्ता ऐसे लोगों के हाथों में आ गई है जो देश की सदियों पुरानी भाईचारे की पहचान को बदल देना चाहते हैं। भाजपा का नाम लिए बगैर उन पर हमला बोलेते हुए जमीयत ने कहा है कि उनके लिए हमारी साझी विरासत और सामाजिक मूल्यों का कोई महत्व नहीं है। उनको बस अपनी सत्ता ही प्यारी है।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की मज्लिसे मुंतज़िमा की इस बैठक में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें केंद्र सरकार से उन तत्वों पर और ऐसी गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाने का आग्रह किया गया है जो लोकतंत्र, न्यायप्रियता और नागरिकों के बीच समानता के सिद्धांतों के खि़लाफ़ हैं और इस्लाम तथा मुसलमानों के प्रति कटुता फैलाती हैं।
महमूद मदनी ने कहा आजकल जिस तरह छदम राष्ट्रवाद के नाम पर राष्ट्र की एकता को तोड़ा जा रहा है, उसको जमीयत उलेमा-ए-हिंद केवल मुसलमानों का ही नहीं बल्कि पूरे देश का भारी नुकसान मानती है और उसे देश की अखंडता और एकता के लिए बेहद खतरनाक समझती है।