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Lok Sabha Elections 2024: PM मोदी की लोकप्रियता, तमिल प्राइड और सुरक्षा के मुद्दे पर तमिलनाडु में मतदाताओं को साध रही भाजपा

BJP in Tamil Nadu: लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने के मिशन में जुटी भाजपा इस बार तमिलनाडु में पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही है।

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  BJP is wooing voters in Tamil Nadu on issue of PM Modi popularity Tamil pride and security in Lok Sabha Elections 2024


लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने के मिशन में जुटी भाजपा इस बार तमिलनाडु में पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही है। भाजपा एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को तमिलनाडु में भुनाने का प्रयास कर रही है और इसके लिए राज्य की जनता के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बॉन्डिंग को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है तो वहीं इसके साथ ही तमिलनाडु की प्राचीन परंपरा, तमिल प्राइड और तमिलों की सुरक्षा के मुद्दे के जरिए भी राज्य के मतदाताओं को साधने का प्रयास कर रही है।

तमिल काशी संगमम और सेंगोल से संदेश देने की कोशिश

तमिल काशी संगमम और संसद के नए भवन में पवित्र सेंगोल स्थापित कर राज्य की जनता को बड़ा संदेश देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल के दिनों में न केवल सबसे ज्यादा बार तमिलनाडु का दौरा किया बल्कि इस चुनावी मौसम में उन्होंने तमिलनाडु की पारंपरिक वेशभूषा में अपना विस्तृत इंटरव्यू तमिलनाडु के ही एक टीवी चैनल को दिया। भाजपा तमिलनाडु की प्राचीन परंपरा से जुड़े प्रतीक चिन्हों, तमिल प्राइड (राज्य के गौरव से जुड़े मुद्दों) और तमिलों की सुरक्षा के मुद्दे के जरिए भी राज्य के मतदाताओं को साधने का प्रयास कर रही है। काशी तमिल संगमम कार्यक्रम के जरिए तमिलनाडु के लोगों को बाबा विश्वनाथ और उनकी नगरी वाराणसी के साथ उनके मजबूत संबंधों की याद दिलाई गई।

तमिलनाडु से शुरु हुई थी एकता यात्रा

तमिलनाडु के टीवी चैनल के साथ बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विस्तार से तमिलनाडु के साथ अपने मजबूत संबंधों का उल्लेख करते हुए तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू किए गए ऐतिहासिक कार्यक्रम 'एकता यात्रा' में अपनी भागीदारी को याद किया। उस एकता यात्रा की शुरुआत में, भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी और यात्रा के ऑर्गेनाइजर नरेंद्र मोदी ने महान स्वतंत्रता सेनानियों शहीद भगत सिंह और राजगुरु के भाइयों राजिंदर सिंह और देवकीनंदन से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज प्राप्त किया था। परमवीर चक्र विजेता कांस्टेबल अब्दुल हमीद के बेटे जुबैद अहमद और अली हसन भी उस समय भाजपा के वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ मौजूद थे।

प्रधानमंत्री नेहरू ने तमिलनाडु की परंपरा का ध्यान नहीं रखा

वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास विभिन्न अधीनमों से आए संतों द्वारा पूरे विधि-विधान, पूजा-हवन और मंत्रोच्चार के बाद पवित्र सेंगोल को स्थापित कर राज्य की जनता को यह स्पष्ट संदेश दिया कि कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु की इस प्राचीन परंपरा का ध्यान नहीं रखा, जबकि, इसकी जानकारी मिलने के बाद उनकी सरकार ने पूरे मान-सम्मान के साथ पवित्र सेंगोल को संसद के नए भवन में स्थापित करने का काम किया।

कच्चातिवु द्वीप का मसला उठा रहे पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी कच्चातिवु द्वीप का मसला भी बार-बार उठाकर राज्य की जनता को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि किस तरह से कांग्रेस की पिछली सरकारों और तमिलनाडु की वर्तमान सत्तारुढ़ पार्टी डीएमके ने भारत की संप्रभुता के साथ-साथ तमिलों खासकर मछुआरों की सुरक्षा को दरकिनार करते हुए कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को दे दिया था।

भारत के 6,180 मछुआरों को श्रीलंका ने हिरासत में लिया

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने तो सोमवार को भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर यह बड़ा आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को देकर भारत की संप्रभुता के साथ समझौता किया और मछुआरों की वर्तमान समस्या के लिए पूरी तरह से कांग्रेस और डीएमके जिम्मेदार है।

विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि इस समझौते की वजह से पिछले 20 वर्षों में भारत के 6,180 के लगभग मछुआरों को श्रीलंका ने हिरासत में लिया। इस दौरान श्रीलंका ने मछली पकड़ने वाली 1,175 नौकाओं को भी पकड़ा। भाजपा इन तथ्यों को लेकर तमिलनाडु की जनता के पास जा रही है और उन्हें यह बताने का प्रयास कर रही है कि संसद में लगातार मछुआरों का मुद्दा उठाने वाली कांग्रेस और डीएमके ही इस समस्या के लिए जिम्मेदार हैं। लेकिन, आज कांग्रेस और डीएमके इस मामले से ऐसे पल्ला झाड़ रही है जैसे उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है।

भाजपा को यह भी लगता है कि डीएमके नेताओं के सनातन विरोधी बयानों से तमिलनाडु की जनता के एक बड़े वर्ग में गुस्सा है, वहीं, जयललिता के निधन के कारण राज्य की जनता का एक बड़ा वर्ग राजनीतिक विकल्प की तलाश कर रहा है और भाजपा इस खाली जगह को भर सकती है। भाजपा को इस बार राज्य में चमत्कारिक नतीजे आने की उम्मीद है।

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