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MP की तर्ज पर राजस्थान में BJP बाटेंगी टिकट, इन्हें बनाएगी उम्मीदवार

Rajasthan Assembly Elections: मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान में भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची कभी भी जारी हो सकती है। पार्टी ने दो दर्जन विधानसभा से अधिक सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय कर लिए हैं।

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 परिवारवाद को न जीताऊ प्रत्याशियों को हां, MP के तरह ही राजस्थान में टिकट बांटेगी BJP

साल के अंत में होने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए भले ही चुनाव आयोग ने किसी प्रकार की घोषणा न की हो। लेकिन भारतीय जनता पार्टी अभी से चुनाव की तैयारी में जुट गई है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हो रहे इन चुनावों को भाजपा सेमीफाइनल के तौर पर देख रही है। चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी खुद केंद्रीय नेतृत्व कर रहा है।

सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी के लिए प्रचार किया। PM के भोपाल दौरे के बाद सोमवार रात को पार्टी ने मध्य प्रदेश में प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी। वहीं, पार्टी मध्य प्रदेश के तर्ज पर राजस्थान में टिकट देने जा रही है। इस बात का संकेत पार्टी की ओर से पहले ही दे दिया गया है।

कभी भी हो सकता है प्रत्याशियों के नाम का एलान

मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान में भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची कभी भी जारी हो सकती है। पार्टी ने दो दर्जन विधानसभा से अधिक सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय कर लिए हैं। इन नामों पर प्रदेश कोर कमेटी में बनी सहमति के बाद पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी सहमति जताई है। भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची में अधिकांश उन सीटों को शामिल कर रही है, जिस पर उसकी स्थिति मजबूत है। साथ ही करीब पांच से छह सबसे कमजोर मानी जाने वाली सीटों पर भी प्रत्याशियों के नाम पहली सूची में जारी हो सकते हैं।

पहली लिस्ट में होगा धुरंधरों का नाम

कोर कमेटी के एक नेता ने बताया कि लोकसभा सांसद सांसद दीया कुमारी, सुखबीर सिंह जौनापुरिया और राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को विधानसभा चुनाव लड़वाने पर लगभग सहमति बन गई है। सूत्रों के अनुसार, पहली सूची में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़, उप नेता सतीश पूनिया, किरोड़ी लाल मीणा व दीया कुमारी के नाम शामिल होंगे।


परिवारवाद को न जीताऊ प्रत्याशियों को हां

पार्टी आगामी चुनाव में किसी भी हाल में परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देना चाहती। कोर कमेटी के एक सदस्य ने बताया राष्ट्रीय नेतृत्व से साफ निर्देश है कि किसी भी सांसद या वरिष्ठ नेता के स्वजन को टिकट नहीं दिया जाएगा
इसको लेकर तर्क दिया जा रहा है कि 2018 के चुनाव में भाजपा ने 15 सीटों पर नेताओं के स्वजनों को टिकट दिया था। इनमें से तीन ही जीत सके, बाकी एक दर्जन सीट हार गए थे। ऐसे में पार्टी का मानना है कि मतदाता परिवारवाद को पसंद नहीं करते हैं।

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