
Delhi High Court
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो अप्राकृतिक यौन संबंध (Unnatural Sexual Relations) बनाने के मामले से निपटने के लिए नए आपराधिक कानून (BNS) में कोई प्रावधान न होने को लेकर प्रतिवेदन पर जल्द फैसला करे। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की बेंच ने केंद्र को छह महीने में इस पर फैसला करने का निर्देश दिया। केंद्र के स्थायी वकील (CGSC) अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि यह मुद्दा सरकार के सक्रिय विचाराधीन है और इस पर समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। इस साल जुलाई में BNS ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह ली थी।
मामले मे याचिकाकर्त्ता गंतव्य गुलाटी ने कहा था कि पहले आइपीसी की धारा 377 के तहत अप्राकृतिक यौन सबंध बनाने पर सजा का प्रावधान था, लेकिन BNS में इस धारा को खत्म कर दिया गया और कोई नई धारा भी नहीं जोड़ी गई है। इसके चलते अभी अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न के शिकार पुरुषों और शादीशुदा संबंध में इस तरह के संबंधों को झेलने महिलाओं लिए कानूनी राहत का प्रावधान नए कानून में नहीं है।
Updated on:
30 Aug 2024 10:44 am
Published on:
29 Aug 2024 08:07 am
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