
Calcutta High Court's big observation: 'No Government job possible in West Bengal without paying money'
पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती (SSC) को मद्देनजर रखते हुए सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर एक बार फिर धांधली की तस्वीर कलकत्ता हाईकोर्ट में एक बार फिर सामने आई है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य बन गया है, जहां कोई भी बिना पैसे दिए राज्य सरकार की नौकरी को सुरक्षित या बरकरार नहीं रख सकता है। दरअसल, जिला प्राथमिक शिक्षा परिषद् ने चार महीने की नौकरी के बाद एक युवक की नौकरी से निकालने का आदेश दिया था। इस मामले सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने उस युवक को वह नौकरी लौटा दी।
जस्टिस अभिजीत ने इस मामले में कड़ा बयान देते हुए कहा, "शायद, माणिक भट्टाचार्य को पैसा नहीं दिया गया तो याचिकाकर्ता की नौकरी छीन ली गई। पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य बन गया है जहां बिना भुगतान के नौकरियां नहीं मिलती हैं।" उन्होंने यह भी सवाल किया, "चार महीने की सेवा के बाद किसी को कैसे नौकरी से निकाल दिया जा सकता है? नियमों के बिना आवेदन कैसे स्वीकार किया जा सकता है?"
तृणमूल कांग्रेस (TMC) विधायक माणिक भट्टाचार्य से कुछ दिन पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूछताछ की थी, उनको लेकर शिक्षक भर्ती घोटाले में संलिप्तता की बात सामने आई थी। जस्टिस गंगोपाध्याय के आदेश के बाद, माणिक भट्टाचार्य को पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन (WBBPE) अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था। जस्टिस गंगोपाध्याय ने इस साल जून में WBBPE भर्ती में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच का आदेश देते हुए भट्टाचार्य को उनकी कुर्सी से हटाने का भी आदेश दिया था।
जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने छह महीने बाद युवक को बहाल कर दिया। यह मामला मुर्शिदाबाद के मिराज शेख की ओर से मुकदमेबाजी से संबंधित है, जिसे दिसंबर 2021 में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के एक सरकारी स्कूल में प्राथमिक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। हालांकि, सेवा में शामिल होने के ठीक चार महीने बाद, WBBPE की ओर से यह कहते हुए उनकी सेवा समाप्त कर दी गई कि उनके पास बोर्ड के मानदंडों के अनुसार आरक्षित श्रेणी में नियुक्त होने के लिए ग्रेजुएशन में 45% के योग्यता अंक नहीं हैं।
WBBPE ने कहा कि स्नातक सम्मान पदों के लिए न्यूनतम 50% अंकों की आवश्यकता होती है। नौकरी से निकाले जाने के बाद शेख ने आदेश को चुनौती देते हिए उन्होंने कोर्ट को अपना ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट दिखाया, जिसमें उन्हें 46% अंक प्राप्त हुए थे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस गंगोपाध्याय ने WBBPE को शेख को प्राथमिक शिक्षक के रूप में तुरंत बहाल करने का आदेश दिया और यह भी टिप्पणी करी कि पश्चिम बंगाल में कोई भी भर्ती बिना पैसे दिए नहीं होती है। वहीं जस्टिस के इस टिप्पणी को लेकर TMC ने कोई भी बयान देने से इंकार किया है। विपक्ष का कहना है कि जस्टिस ने अपने ऑब्जर्वेशन के जरिए पश्चिम बंगाल में हो रहे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया है।
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Updated on:
16 Aug 2022 11:40 pm
Published on:
16 Aug 2022 11:35 pm
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