
अनिल अंबानी के बाद अब बेटे अनमोल के खिलाफ CBI का बड़ा एक्शन
Anil Ambani Son Jai Anmol Ambani: उद्योगपति अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हाल ही में 1,120 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ जब्त करने के बाद अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके बेटे जय अनमोल अंबानी के खिलाफ धोखाधड़ी का आपराधिक मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 228.06 करोड़ रुपये के कथित नुकसान से जुड़ी है। अनिल अंबानी का रिलायंस समूह पहले से ही करीब 17,000 करोड़ रुपये के ऋणों में अनियमितताओं के लिए मनी लॉन्ड्रिंग जांच का सामना कर रहा है।
सीबीआई की बैंकिंग सिक्योरिटी एंड फ्रॉड ब्रांच (BS&FB) ने 6 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में एफआईआर दर्ज की। इसमें रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) के पूर्व निदेशक जय अनमोल अंबानी, पूर्व सीईओ एवं पूर्णकालिक निदेशक रवींद्र शरद सुधाकर, अज्ञात सहयोगियों तथा कुछ अज्ञात लोक सेवकों को नामजद किया गया है। आरोप है कि 1 अप्रैल 2016 से 30 जून 2019 के बीच धोखाधड़ी और धन के दुरुपयोग की घटनाएँ हुईं। सोमवार को सीबीआई ने कंपनी के कार्यालयों तथा जय अनमोल अंबानी के निवास स्थान पर छापेमारी भी शुरू की। जांच एजेंसी दस्तावेज़, ऋण खाते और आंतरिक रिकॉर्ड की गहन जाँच कर रही है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुंबई स्थित परिसंपत्ति प्रबंधन शाखा (SCF ब्रांच) के उप महाप्रबंधक अनूप विनायक तराले की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई। वर्ष 2015 में RHFL ने वित्तीय सहायता के लिए तत्कालीन आंध्रा बैंक (अब यूनियन बैंक में विलय) से संपर्क किया था। फरवरी-मई 2015 के बीच बैंक ने तीन टर्म लोन स्वीकृत किए – 200 करोड़, 150 करोड़ और 100 करोड़ रुपये। इसके अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये के नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCD) भी खरीदे गए, जिससे कुल ऋण राशि 550 करोड़ रुपये हो गई। यह सुविधा बैंक ऑफ बड़ौदा के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम का हिस्सा थी।
5 मई 2020 की फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताएँ सामने आईं। कुल 12,573.06 करोड़ रुपये के लगभग 86% कॉर्पोरेट ऋण संभावित रूप से जुड़ी हुई संस्थाओं (PIEs) को दिए गए थे, जिनमें पुनर्भुगतान क्षमता या पर्याप्त कोलेटरल का उचित आकलन नहीं किया गया था। लगभग 40% राशि (3,573.06 करोड़ रुपये) आवास वित्त के मूल उद्देश्य के बजाय ग्रुप कंपनियों के पुराने ऋण चुकाने में इस्तेमाल की गई। 18% राशि (1,610.13 करोड़ रुपये) सर्कुलर ट्रांजेक्शन में फँसी दिखी, जिसमें धन वापस RHFL को ही लौटाया गया। शेष 22% राशि (1,934.88 करोड़ रुपये) के अंतिम उपयोग का पता नहीं चल सका।
RHFL का खाता 30 सितंबर 2019 को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) घोषित हो गया। 7 जून 2019 से आरबीआई के तनावग्रस्त परिसंपत्ति समाधान फ्रेमवर्क के तहत प्रक्रिया शुरू हुई। 29 मार्च 2023 को लागू समाधान योजना में यूनियन बैंक को अपने हिस्से के रूप में मात्र 60.23 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए। 10 अक्टूबर 2024 को पूर्व प्रमोटरों व निदेशकों को धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया और 16 अक्टूबर 2024 को आरबीआई को सूचित किया गया। अंततः 13 नवंबर 2025 को सीबीआई को औपचारिक शिकायत दर्ज कराई गई।
जांच में रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड, रिलायंस कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और केएम टोल रोड प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों के माध्यम से कथित धन हस्तांतरण के सबूत मिले हैं।
Published on:
09 Dec 2025 04:52 pm
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