क्या फायदा मिलता था
सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों से 353 करोड़ से भी ज्यादा कैश की बरामदगी के बाद भले ही कांग्रेस ने उनसे किनारा कर लिया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि धीरज साहू का परिवार अपने कुबेर वाले खजाने से पार्टी को समय से सहायता करता रहा है और इसके बदले कांग्रेस भी इस परिवार के सदस्यों को पावर कॉरिडोर में ऊंचे रसूख देकर अपना कर्ज उतरती रही है।
उदाहरण से समझिये
धीरज साहू जो दो-दो बार लोकसभा का चुनाव में मात खा चुके हैं। बावजूद इसके वो कांग्रेस के लिए इतने अहम रहे कि पार्टी ने उन्हें एक नहीं लगातार तीन बार उच्च सदन में पहुंचाया। यहीं नहीं उनके बड़े भाई शिवप्रसाद साहू भी दो बार कांग्रेस पार्टी के टिकट पर रांची लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे।
धीरज साहू और शिवप्रसाद साहू के अलावा उनके एक और भाई जिनका नाम गोपाल साहू है उनको भी कांग्रेस एक बार रांची विधानसभा क्षेत्र और एक बार हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे चुकी है। लेकिन गोपाल चुनाव जीतने में सफल नहीं रहे। फिर भी कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश का कोषाध्यक्ष बनाया।
बड़े-बड़े लोगों से रहा है नाता
धीरज प्रसाद साहू के पिता बलदेव साहू पुराने कांग्रेसी, स्वतंत्रता सेनानी और तत्कालीन बिहार के प्रमुख व्यवसायियों में एक रहे। उन्हें ब्रिटेन की हुकूमत से राय साहब की उपाधि मिली थी। नेहरू, इंदिरा, डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं ने राय बलदेव साहू का आतिथ्य स्वीकारा था। फिल्मी हस्तियां तो अक्सर इस परिवार की पार्टियों और समारोहों का हिस्सा बनती रही हैं।
125 वर्षों से शराब कारोबार से जुड़ा है परिवार
साहू परिवार की बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड नामक जिस इंडस्ट्रियल इकाई के ठिकाने से सबसे ज्यादा कैश बरामद हुआ है, उसकी वेबसाइट में बताया गया है, “परिवार 125 साल से भी ज्यादा वक्त से शराब के कारोबार में है और इसने सफलता की कई कहानियां गढ़ी हैं। शुरुआत स्वर्गीय राय साहेब बलदेव साहू के वंशजों से शुरू हुई, जो तत्कालीन छोटानागपुर (बिहार राज्य का प्रभाग, अब झारखंड) के अग्रणी और प्रतिष्ठित व्यवसायियों में से एक थे। वे जानते थे कि उन्हें सफल होना है और देशी शराब को अगले स्तर पर ले जाना है।”
बीए तक पढ़ें हैं साहू
कांग्रेस एमपी धीरज साहू ने बीए तक की पढ़ाई की है। उन्होंने कांग्रेस यूथ विंग एनएसयूआई के जरिए राजनीति में कदम रखा था। वह 1977 में लोहरदगा में यूथ कांग्रेस से जुड़े। इसके बाद जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में विभिन्न पदों पर रहे। उन्होंने 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चतरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन करीब डेढ़ महीने बाद ही कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में उन्हें उतारा और वे उच्च सदन पहुंचे। वह 2010 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2018 में तीसरी बार। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका यह कार्यकाल 2024 तक है।
आईटी छापों के बाद धीरज साहू की कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें वह कहीं राइफल के साथ दिख रहे हैं तो कहीं चीते और बाघ के साथ पोज दे रहे हैं। उनकी अपनी एक वेबसाइट है, जिसमें बताया गया है कि वे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और बोटिंग के शौकीन हैं। इसके अलावा वह शूटिंग में भी हाथ आजमाते रहे हैं। वह लोहरदगा में अक्सर वृहत स्तर पर धार्मिक प्रवचन का कार्यक्रम करवाते रहे हैं। साहू परिवार का रांची स्थित आवास सुशीला निकेतन रेडियम रोड में स्थित है, जो इस शहर का सबसे भव्य बंगला माना जाता है।