
Presidential Election candidate Yashwant Sinha
क्या सिर्फ रबड़ स्टांप रह गए हैं राष्ट्रपति? क्या है विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के जीत के दावे का आधार? क्या PM मोदी का बड़ा विरोधी होना भी बना उनकी उम्मीदवारी का बड़ा कारण? आदिवासी महिला उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू के खिलाफ चुनाव लड़ने की क्या है मजबूरी? ऐसे सारे सवालों पर ‘पत्रिका’ के मुकेश केजरीवाल के साथ सिन्हा की बेबाक बातचीत-
अटल सरकार के वित्त मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता रहे यशवंत सिन्हा को विपक्ष ने राष्ट्रपति चुनाव में उतार कर मुकाबला काफी दिलचस्प कर दिया है। इस Exclusive interview में उन्होंने ये मुख्य बातें कहीं-
- संविधान ने राष्ट्रपति को महत्वपूर्ण भूमिका दी है जिसे पूरा करने में मैं सक्षम
- 2014 में चुनाव लड़ने से मैंने खुद मना किया था, टिकट नहीं काटा गया था
- वोटिंग से पहले चुनाव में बहुत सी परिस्थितियां बदलेंगी, मेरी जीत होगी
- दलित महिला नेता मुर्मू से मुकाबले पर कहा, कुल या जन्म के आधार पर नहीं हो फैसला
प्रश्न- प्रशासन से राजनीति तक आपका लंबा अनुभव है। राष्ट्रपति पद के लिए यह उपयोगी भी होता है। लेकिन क्या विपक्ष के आपके साथ लामबंद होने की एक बड़ी वजह यह नहीं कि आप मोदी-शाह की कमियों को खुल कर सामने लाते हैं?
सिन्हा- जब मैंने महसूस किया कि वर्तमान व्यवस्था और इस सरकार की नीतियां गलत हो रही हैं तो मैंने उस बारे में अपनी बात रखना शुरू किया। मेरा भारतीय जनता पार्टी BJP में किसी से व्यक्तिगत ईर्ष्या या द्वेष नहीं है। सार्वजनिक तौर पर अक्सर कहा जाता है कि 2014 में मुझे चुनाव में टिकट नहीं मिला इसलिए मैं खड़ा नहीं हुआ। मैं बता दूं कि तब मैंने खुद चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। मैंने आलोचना इसलिए की क्योंकि सरकार की नीतियों और कार्यशैली से मेरा मतभेद था।
प्रश्न- राष्ट्रपति चुनाव में जीत को ले कर कितने आशान्वित हैं?
सिन्हा- पूरी तरह से आशान्वित हूं।
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प्रश्न- यह अप्रत्यक्ष चुनाव होता है, लेकिन भारत की जनता को क्या कहेंगे आपको राष्ट्रपति क्यों बनाया जाए?
सिन्हा- मेरा बहुत लंबा अनुभव है। कई मामलों का गंभीर जानकार हूं। ऐसे अनुभव का व्यक्ति चुनाव में दूर-दूर तक नहीं है। साथ ही राष्ट्रपति भवन में ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है जो सरकार को समय-समय पर सही मशविरा देता रहे और कार्यपालिका जब संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन करे तो उसे ऐसा करने से रोके। संविधान के अनुसार यही भूमिका है राष्ट्रपति की। बाकी समय तो उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह पर चलना होगा। लेकिन उनको सरकार को मशविरा देने का अधिकार है यह कहने का अधिकार है कि संवैधानिक सीमा कहां समाप्त होती है। यह मैं बखूबी जानता हूं और इसको निभाऊंगा।
प्रश्न- हालांकि चुनाव में आपकी उम्मीदवारी की घोषणा पहले हुई, लेकिन अब आपके खिलाफ आदिवासी महिला चुनाव में हैं..
सिन्हा- पिछली बार विपक्ष ने मीरा कुमार के रूप में एक दलित महिला को उम्मीदवार बनाया था। तब क्या उनको इसी आधार पर चुन कर भेज दिया गया? मैं कहां पैदा होऊंगा यह क्या मैंने तय किया था? कौन किस कुल में पैदा हुआ सिर्फ इस आधार पर ना लाभ मिलना चाहिए और ना नुकसान हो। इस पर आपका नियंत्रण नहीं है। आप मुझे उसी बात के लिए दोषी ठहरा सकते हैं जिस पर मेरा कंट्रोल है। इस बात के लिए मुझे कैसे दोषी ठहराएंगे कि मैं किसी और कुल में पैदा क्यों नहीं हुआ?
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प्रश्न- मायावती ने एनडीए उम्मीदवार को समर्थन का फैसला किया है...
सिन्हा- देखा मैंने। अभी से 18 जुलाई तक बहुत परिवर्तन होंगे।
प्रश्न- आपको उम्मीद है कि मायावती अपना फैसला बदल सकती हैं?
सिन्हा- नहीं यह बात मैंने उस बारे में नहीं कही, लेकिन बहुत सी परिस्थितियां बदलेंगी 16-17 जुलाई तक।
प्रश्न- भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद उसी इलाके से थे, जहां से आप...
सिन्हा- 1960 में मैं भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) में आया था। तब मसूरी से ट्रेनिंग के बाद हम सब प्रोबेशनर अधिकारी के तौर पर दिल्ली आए थे तो हमें राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से मिलवाया गया था। हालांकि उनके परिवार से हमारे परिवार का नजदीकी संबंध था लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मैं उनसे कभी नहीं मिला। तब बहुत छोटा था।
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प्रश्न- भारत में राष्ट्रपति की भूमिका जो रही है और इस समय है...
सिन्हा- बहुत ही प्रतिष्ठित और मर्यादा वाले लोग राष्ट्रपति बने हैं और उन्होंने अपनी संवैधानिक भूमिका निभाई है। कुछ रबड़ स्टांप भी बने हैं। दोनों तरह के राष्ट्रपति भारत के इतिहास में देखने को मिले हैं। मैं इतना ही कह सकता हूं कि मैं रबड़ स्टांप राष्ट्रपति नहीं बनने वाला हूं।
प्रश्न- क्या मौजूदा परिस्थितियों में राष्ट्रपति के लिए कुछ अतिरिक्त सजगता और सक्रियता जरूरी हो जाएगी?
सिन्हा- बिल्कुल जरूरी हो जाएगी।
Published on:
27 Jun 2022 10:14 am
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