
Instructions for investigation against District Judge Dinesh Kumar Sharma of Devsar Singrauli
Punjab and Haryana High Court: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक पिता ने अपनी 10 वर्षीय बेटी की कस्टडी के लिए क पूर्ण वित्तीय योजना (फुल फाइनेंशियल प्लान) बताया। लेकिन हाईकोर्ट ने पिता द्वारा दिए गए तर्क को खारिज कर दिया और मां के पक्ष में फैसला सुनाया है। पिता ने कोर्ट में दावा किया होगा कि वह आर्थिक रूप से सक्षम है और बच्ची के भविष्य की जरूरतों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवनशैली को पूरा करने के लिए एक विस्तृत वित्तीय योजना के बारे में बताया। इसके बावजूद, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने मां को कस्टडी देने का फैसला किया।
एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति अर्चना पुरी ने कहा है कि जहां तक वित्तीय सुरक्षा का सवाल है, यह अच्छी बात है कि पिता बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। यह पिता का कर्तव्य है। बच्चे की इस उम्र में इससे बच्चे के व्यक्तित्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है।
कोट ने कहा कि वित्तीय कोष से बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ठीक है। लेकिन फिर भी इस स्तर पर बच्चे का वित्तीय कोष से कोई सरोकार नहीं है। बच्चा खुशी-खुशी अपनी मां के साथ रह रहा है और (पिता के) मिलने-जुलने के अधिकार जारी रहेगा।
ऐसा करते समय, कोर्ट ने कहा कि माता-पिता दोनों के रूप में बच्चे की भावनात्मक जरूरतों को भी ध्यान में रखना होगा। दम्पति को यह भी आदेश किया कि वे अभिभावक कोर्ट को उचित सूचना देने के बाद, हर चार महीने में एक बार परिवार के साथ बाहर घूमने की योजना पर विचार करें।
कोर्ट ने पिता द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई की। जिसमें अभिभावक न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत उसे केवल मुलाकात का अधिकार दिया गया था। माँ और बच्चा 2019 से पति से अलग रह रहे थे।
न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार, बच्चे की अंतरिम हिरासत के प्रश्न पर निर्णय करते समय परिस्थितिजन्य लचीलापन होना चाहिए। कोर्ट को स्थिति की मांग के अनुसार उचित आदेश पारित करने के उद्देश्य से हर समय सतर्क रहना चाहिए। यह ध्यान में रखना चाहिए कि बच्चे का कल्याण और हित सर्वोपरि है।
Updated on:
12 Mar 2025 07:14 pm
Published on:
12 Mar 2025 04:01 pm
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