
विपक्षी नेता शशि थरूर को लेकर कयासों का बाजार गर्म है।
Finance Bill 2025: लोकसभा में सोमवार तीखी बहस के बीच वित्त विधेयक 2025 पास हो गया। सदन में वित्त विधेयक 2025 पर तीखी बहस हुई, जिसमें विपक्षी नेता शशि थरूर और महुआ मोइत्रा ने सरकार की राजकोषीय नीतियों पर तीखे हमले किए। उन्होंने प्रशासन पर प्रणालीगत आर्थिक कुप्रबंधन और बड़ी कॉर्पोरेट संस्थाओं के प्रति पक्षपात का आरोप लगाया। जवाब में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इन आरोपों को खारिज करते हुए तर्क दिया कि कांग्रेस पार्टी आदतन नीतिगत प्रगति को स्वीकार किए बिना विरोध करती है।
लोकसभा में मंगलवार को फाइनेंस बिल 2025 पास हो गया। इसमें 35 सरकारी संशोधन शामिल हैं। केंद्रीय बजट 2025-26 के प्रस्तावों को लागू करने के लिए यह एक अहम प्रक्रिया है। फाइनेंस बिल 2025 पर हुई डिबेट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 में करदाताओं को बड़ी राहत दी गई है। इसका उद्देश्य घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाना और निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है।
जैसे ही दोपहर 2:30 बजे वित्त विधेयक पर कार्यवाही शुरू हुई, गौरव गोगोई और के.सी. वेणुगोपाल सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने सदन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अनुपस्थिति पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। बाद में कांग्रेस सांसद थरूर के संबोधन के दौरान सीतारमण बहस में शामिल हुईं।
चर्चा की शुरुआत करते हुए थरूर ने वित्त विधेयक को पैचवर्क समाधानों का क्लासिक मामला बताया और तर्क दिया कि सरकार का राजकोषीय प्रबंधन गहरे संरचनात्मक मुद्दों से ग्रस्त है। उन्होंने टिप्पणी की, वित्त मंत्री के बजट भाषण ने मुझे एक गैराज मैकेनिक की याद दिला दी, जिसने कहा, 'मैं आपके ब्रेक ठीक नहीं कर सका, इसलिए मैंने हॉर्न को तेज कर दिया।' वित्त विधेयक को देखते हुए अब वह कह रही है, 'मैं छत की मरम्मत नहीं कर सका, लेकिन मैं आपके लिए एक छाता लाया हूं।'
थरूर ने दक्षिण भारतीय राज्यों के प्रति वित्तीय अन्याय पर जोर दिया। उन्होंने सवाल किया, पांच दक्षिणी राज्य- आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और तेलंगाना- भारत के सबसे मजबूत आर्थिक इंजनों में से हैं। जो प्रत्यक्ष करों में एक चौथाई से अधिक और जीएसटी में 28.5 प्रतिशत का योगदान करते हैं। फिर भी, उन्हें केंद्र के कर पूल का केवल 15 प्रतिशत ही मिलता है। यह कैसे उचित है?
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इसी तरह की चिंताओं को व्यक्त करते हुए सरकार पर बड़े उद्योग समूहों को लाभ पहुंचाने और छोटे व्यवसायों व श्रमिकों पर अतिरिक्त बोझ डालने का आरोप लगाया। इसके अलावा, उन्होंने सरकार पर कर आतंकवाद (Tax Terrorism) का आरोप लगाया, जिससे शेयर बाजार निवेशकों, कॉर्पोरेट कंपनियों और छोटे व्यवसाय मालिकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
Updated on:
25 Mar 2025 09:41 pm
Published on:
25 Mar 2025 06:41 pm
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