17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Geo टैगिंग की शुरुआत, पेड़ों पर दिखेगा Adhaar Card जैसा यूनिक QR कोड

Geo Tagging Jammu-Kashmir: कश्मीर प्रशासन की ओर से यह कदम शहरीकरण, सडक़ों के चौड़ीकरण और बीमारियों से पेड़ों को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए उठाया गया है।

2 min read
Google source verification
Geo tagging a Chinar tree

चिनार के पेड़ पर जियो टैगिंग करते हुए

Jammu-Kashmir Chinaar Tree Geo Tagging: कश्मीर की संस्कृति के प्रतीक चिनार के पेड़ों के संरक्षण और बेहतर देखभाल के लिए बड़ी पहल की गई है। विस्तृत डेटाबेस तैयार करने के लिए राज्य में हजारों चिनार पेड़ों की जियो-टैगिंग की जा रही है। यह कदम शहरीकरण, सडक़ों के चौड़ीकरण और बीमारियों से पेड़ों को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए उठाया गया। पिछले कुछ दशक में सैकड़ों चिनार पेड़ खत्म हो गए हैं। इन्हें कटाई का संकट भी झेलना पड़ा।

QR Code पर उपलब्ध होगीं ये जानकारियां

जियो-टैगिंग के तहत हरेक चिनार पेड़ पर क्यूआर कोड (QR Code) लगाया जा रहा है। कोड में पेड़ के स्थान, आयु, स्वास्थ्य और बढऩे के पैटर्न समेत 25 प्रकार की जानकारियां दर्ज की गई हैं। इससे पर्यावरणविद पेड़ों के बदलाव पर नजर रखते हुए खतरे के कारकों को दूर कर सकेंगे। जनता भी क्यूआर कोड स्कैन कर पेड़ों के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर सकेगी। परियोजना के प्रमुख सैयद तारिक के मुताबिक अब तक करीब 29,000 चिनार पेड़ों की जियो-टैगिंग की जा चुकी है। छोटे आकार के कुछ पेड़ टैग नहीं किए गए हैं। इन्हें भी जल्द टैग किया जाएगा। तारिक ने बताया, हमने अल्ट्रासोनोग्राफी आधारित उपकरण (यूएसजी) का इस्तेमाल शुरू किया है, जो मानवीय हस्तक्षेप के बगैर खतरे के स्तर को माप सकता है। उपकरण पेड़ों के जोखिम कारकों का मूल्यांकन करेगा।

दुनिया का सबसे पुराना चिनार करीब 650 वर्ष का

चिनार के पेड़ को पूरी तरह विकसित होने में करीब 150 साल लगते हैं। यह 30 मीटर की ऊंचाई और 10 से 15 मीटर के घेराव तक बढ़ सकते हैं। दुनिया का सबसे पुराना चिनार श्रीनगर के बाहरी इलाके में है। इसकी उम्र करीब 650 साल बताई जाती है।

ये भी पढ़ें: Jammu Kashmir के CM के लिए गाड़ियों का काफिला तैयार, परिवहन विभाग से मिली इतने करोड़ की मंजूरी

चिनार दिवस की कबसे हुई शुरुआत

जम्मू-कश्मीर में 1947 से पहले चिनारों की संख्या 45 हजार से ज्यादा थी। अस्सी के दशक से इनकी संख्या घटती गई। वर्ष 2017 में हुई गिनती के मुताबिक राज्य में 35 हजार से ज्यादा चिनार हैं। इनमें ऐसे पेड़ शामिल हैं, जिन्हें रोपा गया था। प्रशासन ने 2020 से चिनार दिवस मनाना शुरू किया था। इस दिन नए पेड़ रोपे जाते हैं।