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हरियाणा में हैट्रिकः मोदी मैजिक और माइक्रो मैनेजमेंट ने पलट दी बाजी, बीजेपी ने ऐसी बनाई अचूक रणनीति

लोकसभा चुनाव की गलतियों से सबक लेते हुए भाजपा ने ऐसी अचूक रणनीति बनाई कि अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को भी कांग्रेस भुना नहीं पाई। पढ़िए नवनीत मिश्र की खास रिपोर्ट...

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हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाकर भाजपा ने इतिहास रच दिया। राजनीतिक विश्लेषक भले ही सतही तौर पर जाट बनाम गैर जाट राजनीति को सफलता का कारण बताएं, लेकिन हकीकत कुछ और रही। भाजपा की ऐतिहासिक जीत संभव हुई 'मोदी मैजिक' और माइक्रो मैनेजमेंट से। 10 साल में सुरक्षा, शासन और सम्मान के वातावरण से उपेक्षित जातियों ने खामोशी से वोट देकर भाजपा की विजयगाथा लिख दी। साइलेंट वोटर फिर भाजपा के लिए वरदान साबित हुए। लोकसभा चुनाव की गलतियों से सबक लेते हुए भाजपा ने ऐसी अचूक रणनीति बनाई कि अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को भी कांग्रेस भुना नहीं पाई। 4 जून 2024 को 10 में से आधी लोकसभा सीट जीतने वाली कांग्रेस ने चार महीने में ही घुटने टेक दिए। प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा और गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष नड्डा की रणनीति को जिस तरह से चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और प्रदेश प्रभारी सतीश पूनिया ने धरातल पर उतारा, उसने जमीन पर भारी अंतर पैदा किया।

जवानों, किसानों को घोषणाओं से साधा

किसानों को साधने के लिए 24 फसलों पर एमएसपी दी गई तो गृहमंत्री अमित शाह ने अग्निवीरों को परमानेंट नौकरी की घोषणा कर जवानों को साधा। इसके अलावा पार्टी ने केंद्र और राज्य की योजनाओं को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाकर लाभार्थियों के बड़े वर्ग को ऐसा रिझाया कि वे अपनी जाति भूलकर एक नया वोटबैंक बन बैठे।

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सैनी को लाना गेम चेंजर

भाजपा को इंटरनल सर्वे में जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के चेहरे पर चुनाव में जाने से नुकसान की रिपोर्ट मिली तो डैमेज कंट्रोल एक्शन मोड में शुरू हुआ। मनोहर लाल खट्टर को हटाकर जनता के एक धड़े में नाराजगी काम करने की कोशिश हुई। भाजपा ने चुनाव से पहले नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर 35 प्रतिशत ओबीसी मतदाताओं के बड़े हिस्से को अपने पाले में लाने की सफल कोशिश की।

बिना पर्ची खर्ची नौकरियों का मुद्दा हिट

भाजपा ने हुड्डा की कांग्रेस सरकार में पर्ची यानी सिफारिश और खर्ची यानी घूस से नौकरियों का बड़ा मुद्दा बनाया। पिछले 10 साल में 1.40 लाख सरकारी नौकरियों को पारदर्शी तरीके से देकर गुड गवर्नेंस की छाप छोड़ी। पहले जहां जाति विशेष को ही नौकरियां मिलने की शिकायतें आती थीं, एक दशक में पूरा सिस्टम बदल जाने से जनता का बड़ा वर्ग खुश नजर आया।

टिकट वितरण से सेंधमारी

भाजपा ने राज्य में 10 साल से गैर जाट राजनीति कर ओबीसी को गोलबंद करने की राजनीति को भले ही बढ़ावा दिया, लेकिन चुनाव में 13 जाटों को टिकट देकर इस धारणा को तोड़ा भी। यही वजह रही कि जाट बेल्ट में भी बीजेपी को अच्छी सीटें मिलीं। भाजपा ने 27 नए चेहरों को उतारकर नाराजगी भी दूर की। दलितों में भी दलित मानी जाने वाली बाल्मीकि, धानुक, बावरिया और बाजीगर जातियों के नेताओं को टिकट देकर अनुसूचित वोटों में सेंधमारी की। एससी सीटें भी जीतने में बीजेपी सफल रही।