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Monsoon-Nautapa: कैसे बनता है दक्षिण पश्चिम मानसून, कब से शुरू है नौतपा और इसका अच्छी बारिश से क्या है संबंध? जानिए

मानसून क्या है? मानसून कैसे आगे बढ़ता है? Monsson 2025: मानसून में बारिश क्यों होती है? कोरिओलिस इफेक्ट क्या है? नौतपा क्या होता है और यह कब से शुरू हो रहा है और यह कब तक चलेगा? इन सारे सवालों का जवाब देता हुआ ज्‍योति कुमार का यह लेख।

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बारिश की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: पत्रिका)

Know about Monsoon and Nautapa: दक्षिण-पश्चिम मानसून एक प्रमुख मौसमी प्रणाली है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में जून से सितंबर के बीच भारी वर्षा लाती है। यही वर्षा देश की कृषि, जल संसाधन और अर्थव्यवस्था में इसका योगदान महत्वपूर्ण है। दक्षिण-पश्चिम मानसून भूमि और समुद्र के बीच तापमान के अंतर से उत्पन्न होता है, जो नमी से भरी हवाओं को भारत की ओर खींचता है, और ये हवाएं पर्वतीय बाधाओं के कारण ऊपर उठकर वर्षा करती हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून हिंद महासागर से नमी से भरी हुई हवाएं लाता है। जबकि उत्तर-पूर्व मानसून दक्षिण-पूर्वी भारत को प्रभावित करता है।

ऐसे बढ़ता है मानसून

गर्मियों में उत्तर भारत में कम दबाव और महासागरों में उच्च दबाव बनने से समुद्र से नम दक्षिण-पश्चिम हवाएं भारत की ओर आती हैं। ये हवाएं बादल बनाकर वर्षा कराती हैं।

क्या है कोरिओलिस इफेक्ट

जब ये हवाएं भूमध्य रेखा को पार कर भारत की ओर आती हैं, तो पृथ्वी के घूमने के कारण (कोरिओलिस इफेक्ट) ये दक्षिण-पूर्व से आकर दक्षिण-पश्चिम की तरफ मुड़ जाती हैं, इसलिए इन्हें दक्षिण-पश्चिम मानसून कहते हैं।

दो हिस्सों में बंट जाती हैं मानसूनी हवाएं

भारत में घुसते ही दक्षिण-पश्चिम मानसून की हवाएं दो मुख्य हिस्सों में बंट जाती हैं। पहली अरब सागर शाखा, जो पश्चिमी घाट से टकराकर पश्चिमी तट पर बारिश करती हैं। दूसरी है बंगाल की खाड़ी शाखा, जो पूर्वोत्तर भारत और हिमालय से टकराकर बाकी भारत में बारिश करती हैं।

भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था की रीढ़

देश की लगभग 55-60% खेती मानसून पर निर्भर हैै। खरीफ फसलें जैसे चावल, मक्का, कपास आदि मानसून पर निर्भर होती हैं। अच्छा मानसून फसल, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक वृद्धि लाता है, जबकि कमजोर मानसून सूखा, महंगाई, फसल नुकसान और किसानों की आय में गिरावट लाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।

आज से नौतपा का आगाज

साल के सबसे ज्यादा गर्म नौ दिन, जिन्हें नौतपा कहा जाता है, 25 मई से शुरू हो रहे हैं। दो जून तक चलने वाले नौतपा के दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहेगा। माना जाता कि जितना ज्यादा वह रोहिणी नक्षत्र को जलाता है, उतनी अच्छी बारिश होती है। नौतपा की अवधि के दौरान सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पडऩे से प्रचंड गर्मी रहती है। मई आमतौर पर झुलसाने वाली गर्मी के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार अब तक गर्मी चरम पर नहीं पहुंची। दक्षिण भारत के कई हिस्सों में कुछ दिन से लगातार बारिश हो रही है। इससे भी गर्मी का प्रकोप कम रहा है।