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भारत का हुआ चाबहार बंदरगाह, 10 साल में 37 करोड़ डॉलर निवेश की योजना

Chabahar Port Deal : भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर के बाद अब इस बंदरगाह के संचालन का पूरा अधिकार भारत के पास आ गया है।

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Chabahar Port Deal : भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर के बाद अब इस बंदरगाह के संचालन का पूरा अधिकार भारत के पास आ गया है। इसी के साथ चाबहार विदेश में भारत सरकार द्वारा संभाला जाने वाला पहला ऑपरेशनल बंदरगाह बन गया है। पाकिस्तान के कराची और ग्वादर के बंदरगाहों को दरकिनार करते हुए ईरान के रास्ते अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों में माल परिवहन के लिए ओमान की खाड़ी में ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित चाबहार बंदरगाह को भारत लंबे समय से विकसित करते आ रहा है, जिसको आज अमलीजामा पहनाया गया। इसके लिए इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आइपीजीएल) और पोर्ट एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन ऑफ ईरान के बीच दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

37 करोड़ डॉलर का का होगा निवेश

ईरान में आयोजित इस समारोह में भारत की तरफ से जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, चाबहार बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण व्यापार धमनी के रूप में कार्य करता है। इस मौके पर ईरानी सड़क और शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बजरपाश ने बताया कि समझौते के तहत भारत चाबहार बंदरगाह में 37 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा। जिसमें आइपीजीएल 12 करोड़ डॉलर और 25 करोड़ डॉलर फाइनेंसिंग की मदद की जरिए भारत उपलब्ध कराएगा।

मध्य एशिया के जरिए रूस से बढ़ेगी कनेक्टिविटी

भारत और ईरान में चाबहार के विकास पर चर्चा 2003 से चली आ रही थी। लेकिन ईरान पर अमरीकी प्रतिबंधों के कारण बातचीत में तेजी नहीं आ पा रही थी। मौजूदा परिदृश्य में चाबहार समझौता अहम हो गया है। वर्तमान में चाबहार बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) के साथ एकीकृत करने की योजना पर काम चल रहा है, जिससे ईरान के माध्यम से रूस के साथ भी भारत की कनेक्टिविटी आसान हो जाएगी। भारत के जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस मौके पर कहा, चाबहार बंदरगाह का महत्व भारत और ईरान के बीच मात्र एक संपर्क माध्यम से कहीं अधिक है। इस जुड़ाव ने व्यापार के लिए नए रास्ते खोले हैं और पूरे क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला को विस्तृत और मजबूत किया है।

भारत 2018 से बंदरगाह पर संभाल रहा कार्गो ऑपरेशन

आइपीजीएल ने पहली बार 2018 के अंत में चाबहार बंदरगाह का सीमित संचालन संभाला था और तब से यहां 90,000 से अधिक 24 फीट लंबे (टीईयू) कंटेनरस का यातायात और 84 लाख टन से अधिक के थोक और सामान्य कार्गो ऑपरेशन को यहां अंजाम दिया है। अब तक चाबहार बंदरगाह के जरिए भारत से अफगानिस्तान तक कुल 25 लाख टन गेहूं और 2,000 टन दालें भेजी गई हैं। इस मौके पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को मुंबई में संवाददाताओं से कहा, इस दीर्घकालिक समझौते से बंदरगाह में बड़े निवेश का रास्ता साफ हो जाएगा।

अब तक हर साल समझौता को किया जाता था रिन्यू

फिलहाल दोनों देशों के बीच मौजूदा समझौते में सिर्फ शाहिद बेहिश्ती टर्मिनल पर परिचालन शामिल है और इसे सालाना नवीनीकृत किया जाता है। नया 10-वर्षीय समझौता 10 साल की लंबी अवधि के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे यहां काम कर रहीं शिपिंग कंपनियों का भरोसा बढ़ेगा। इस समझौते से चाबहार पोर्ट के संचालन में भारत की भागीदारी के लिए और अधिक मजबूत आधार बन सका है।

ईरान में सड़क भी बना रहा है भारत

ईरानी बंदरगाह सुविधा में निवेश भारत द्वारा विदेशों में इस तरह के बुनियादी ढांचे में पहला निवेश है। भारत की योजना यहां 180 लाख टन कार्गो हैंडलिंग की है। 2023 के लिए, भारत ने शाहिद बेहिश्ती टर्मिनल पर 13,282 टीईयू कार्गो हैंडलिंग का लक्ष्य रखा है। गौरतलब है कि भारत ईरान में 700 किलोमीटर लंबी चाबहार-ज़ाहेदान रेलवे लाइन के निर्माण में भी शामिल है। इतना ही नहीं, भारत का अदानी समूह पहले से ही इजरायल में हाइफा बंदरगाह का संचालन करता है और आगे इस क्षेत्र में भारतीय संस्थाओं द्वारा अधिक बंदरगाह सौदे होने की उम्मीद है।

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