6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Indian Railways: कब और कितनी बार धोए जाते हैं ट्रेन में मिलने वाली चादर-कंबल, RTI ने दिया चौंकाने वाला जवाब

Indian Railways: भारतीय रेलवे द्वारा एसी कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों को दिए जाने वाले कंबलों की धुलाई को लेकर एक RTI के जवाब में रेल मंत्रालय ने जानकारी दी है।

2 min read
Google source verification

Indian Railways: भारतीय रेलवे द्वारा एसी कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों को दिए जाने वाले कंबलों की धुलाई को लेकर एक RTI के जवाब में रेल मंत्रालय ने जानकारी दी है कि लिनन (चादरें, तकिए के कवर) को हर बार इस्तेमाल के बाद धोया जाता है। हालांकि, ऊनी कंबलों की धुलाई की प्रक्रिया अलग होती है। इन्हें कम से कम महीने में एक बार और अधिकतम महीने में दो बार धोया जाता है।

कब धोए जाते हैं कंबल

ट्रेनों में यात्रियों को दी जाने वाला चादर हर इस्तेमाल के बाद धोई जाती है, जबकि कंबलों को महीने में कम से कम एक बार धोया जाता है। एक आरटीआई के जवाब में यह खुलासा हुआ। लंबी दूरी की अलग-अलग ट्रेनों में काम करने वाले हाउसिंग स्टाफ के मुताबिक हर ट्रिप के बाद बैडशीट्स और पिलो कवर्स को लॉन्ड्री के लिए दे दिया जाता है। कंबलों को फोल्ड कर रखा जाता है। इन्हें लॉन्ड्री के लिए तब भेजा जाता है, जब इनसे बदबू आ रही हो या कोई दाग लगा हो।

यह भी पढ़ें- Indian Railways: इस तारीख से Ticket Booking के बदल जाएंगे नियम, 120 दिन की जगह इतने दिन पहले करवा सकेंगे टिकट

क्या रेलवे कंबल और चादर के लिए करता है अलग चार्ज

भारतीय रेलवे ने RTI के जवाब में स्पष्ट किया है कि कंबल, चादर, और तकिए के कवर जैसी सुविधाओं के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है। यह सुविधाएं ट्रेन के किराए के पैकेज का हिस्सा होती हैं। हालांकि, गरीब रथ और दुरंतो जैसी ट्रेनों में यात्रियों को टिकट बुक करते समय बेडरोल का विकल्प चुनने की सुविधा दी जाती है, और यदि यात्री यह विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें प्रति किट के लिए अतिरिक्त राशि का भुगतान करके बेडरोल (तकिया, चादरें, आदि) प्राप्त किया जा सकता है।

रेलवे के पास 46 विभागीय लॉन्ड्री और 25 बूट लॉन्ड्री

आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय रेलवे के पास देशभर में 46 विभागीय लॉन्ड्री और 25 बूट लॉन्ड्री हैं। विभागीय लॉन्ड्री का मतलब है कि लॉन्ड्री की भूमि और वाशिंग मशीन रेलवे के स्वामित्व में होती हैं, लेकिन काम करने वाले कर्मचारियों को अनुबंध पर नियुक्त किया जा सकता है। दूसरी ओर, बूट लॉन्ड्री (बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर) रेलवे की भूमि पर स्थापित होती हैं, लेकिन वॉशिंग उपकरण और कर्मचारियों का प्रबंधन निजी पार्टी या ठेकेदार द्वारा किया जाता है।