इजरायल-ईरान सैन्य संघर्ष (Israel Iran military clash) शुरू होने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) पर इसका असर दिखने लगा है। कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतें बीते 2 दिनों में 12 फीसदी तक बढ़ गई हैं। WTI की रिपोर्ट के अनुसार, 13 जून को कच्चे तेल की कीमत 8.2 फीसदी बढ़कर 73.61 डॉलर (6,337 रुपए ) प्रति बैरल पहुंच गई। 14 जून को दाम में 12.6 फीसदी का उछाल आया और प्रति बैरल की कीमत 76.61 डॉलर पहुंच गई। बता दें कि, प्रति बैरल में 159 लीटर होते हैं। भारत (India) में बीते दो दिन में प्रति बैरल कच्चे तेल की कीमत में 497 रुपए का इजाफा हुआ।
मिडिल ईस्ट (Middle East) से दुनिया का 30 फीसदी से ज्यादा तेल और गैस निकलता है। यहां से स्ट्रेट ऑफ होर्मुज यानी जलडमरूमध्य भी है। जोकि दुनिया की 20 फीसदी तेल और गैस सप्लाई का रास्ता है। स्ट्रेट ऑफ होर्मुज साऊदी अरब, कतर, UAE, इराक, बहरीन और कुवैत जैसे देशों से तेल और गैस की सप्लाई के लिए जरूरी है। जिस पर इस सैन्य झड़प का प्रभाव पड़ने से सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। इससे तेल की कीमतें बढ़ जाएंगी।
विशेषज्ञों ने कहा कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (OPEC) रोजाना 32 लाख बैरल तैल निकालता है। होमुर्ज जलडमरूमध्य से 2.1 करोड़ बैरल तेल और 8 करोड़ टन नेचुरल गैस का ट्रांसपोर्टेशन होता है। अगर ईरान होर्मुजा जलडमरूमध्य को ब्लॉक करता है तो यह रास्ता खतरे में पड़ जाएगा। इससे भारत सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था में महंगाई बढ़ेगी।
ईरान ने वैश्विक समुदाय को इजरायल का साथ देने पर बुरा अंजाम भुगतने की धमकी दी है। ईरान ने कहा कि अगर कोई भी देश इजरायल का साथ देता है तो उसे बुरा अंजाम भुगतना होगा। ईरान ने यह धमकी अमेरिका सहित अरब देशों को दी है। अमेरिका का अरब के कई देशों जैसे कि साऊदी अरब, ओमान, कतर में सैन्य अड्डे हैं, जो कि वक्त आने पर इजरायल की मदद कर सकते हैं।
अगर अरब के देश इस सैन्य झड़प में अप्रत्यक्ष रूप से इजरायल की मदद करते हैं तो ईरान उनके रणनीतिक व आर्थिक इलाकों पर हमला कर सकता है। हालांकि, अरब वर्ल्ड ने इजरायली सैन्य कार्रवाई का खुलकर विरोध किया है। साथ ही, ईरान का समर्थन भी किया है। विशेषज्ञों ने कहा कि 2019 में सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हूथियों के ड्रोन हमले के बाद तेल की कीमतें 15% बढ़ी थीं। इस बार भी निवेशकों ने ऐसा ही डर महसूस किया है।
ईरान- इजरायल सैन्य झड़प के बाद एशिया और यूरोप के शेयर मार्केट में गिरावट देखी गई। जापान का निक्केई शेयर भी 0.9% नीचे रहा, यूके का FTSE 100 सूचकांक 0.39% नीचे बंद हुआ। अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट देखी गई।
विशेषज्ञों ने कहा कि अगर ईरान के तेल उत्पादन और निर्यात सुविधाओं को निशाना बनाया गया, तो कच्चे तेल की कीमत लगभग 80-100 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि कीमतों में इस तरह की बढ़ोतरी अन्य तेल उत्पादकों को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। जिससे इंफ्लेशन कंट्रोल किया जा सके।
Updated on:
15 Jun 2025 10:51 am
Published on:
15 Jun 2025 10:49 am