
कोयले और स्टील के लिए मशहूर झारखंड (Jharkhand Election) की सत्ता की चाबी एससी-एसटी (ST-SC) के लिए आरक्षित 37 सीटों में छिपी है। जो भी गठबंधन इनमें से अधिक सीटें जीतेगा, झारखंड की सत्ता का ताज उसके सिर पर सजेगा। आदिवासी बहुल झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में अनुसचित जनजाति (ST) के लिए 28 तथा अनुसूचित जाति (SC) के लिए 9 सीटें आरक्षित है। पिछले दो विधानसभा चुनावों को देखें तो जिस दल ने इन सीटों पर वर्चस्व कायम किया है, झारखंड में उसकी सरकार बनी है। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों से विश्लेषण करें तो इस बार विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी 'इंडिया' ब्लॉक और विपक्षी एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला है। इंडिया ब्लॉक के कांग्रेस और जेएमएम का आदिवासी बहुल इलाकों और भाजपा का एससी व सामान्य सीटों पर प्रभुत्व है। झारखंड में पहले चरण की 43 सीटाें पर 13 नवंबर को होने वाले मतदान में एसटी आरक्षित सभी सीटें शामिल हैं।
2019 के विधानसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक ने एसटी की आरक्षित 25 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता हासिल की थी। आम चुनाव 2024 में जेएमएम व कांग्रेस ने एसटी आरक्षित 28 में से 24 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त लेते हुए एसटी के लिए सुरक्षित पांचों लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया। आम चुनाव में भाजपा ने एससी के लिए आरक्षित सभी 9 विधानसभा सीटों में बढ़त हासिल की थी।
2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को आदिवासियों का साथ मिलने पर ही सत्ता हासिल हुई थी। तब यहां एसटी की आरक्षित 28 में से 11 सीटें भाजपा ने अकेले जीती थी।
झारखंड के चुनाव को लेकर एनडीए व इंडिया ब्लॉक सतर्क है, क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनाव में उससे पहले हुए लोकसभा चुनाव (2019) का ट्रेंड बदल गया था। उस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने करीब 57 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त लेकर 11 सीटें जीती थीं। लेकिन विधानसभा चुनाव में समीकरण पलट गए और जेएमएम व कांग्रेस गठबंधन ने बनाकर सरकार बना ली। कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा ने 8 लोकसभा सीटें जीतने के साथ 47 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई। वहीं जेएमएम को सिर्फ 14 और कांग्रेस को 15 सीटों पर बढ़त मिली है।
Updated on:
08 Nov 2024 08:21 am
Published on:
08 Nov 2024 08:20 am
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