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Jharkhand News: पद्मश्री सिमोन उरांव उर्फ ‘वाटरमैन’ को आया पैरालिसिस अटैक, रिम्स में कराया गया भर्ती, जानिए कौन है यह शख्सियत

पद्मश्री के नागरिक पुरस्कार से सम्मानित, झारखंड के 'वाटरमैन' नाम से मशहूर सिमोन उरांव को पैरालिसिस अटैक आया है। उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें रिम्स में भर्ती कराया गया है। डॉक्टर के अनुसार पैरालाइसिस अटैक आने के साथ-साथ बीपी बढ़ गया है।

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Padmashree Simon Oraon Waterman admitted in paralysis attack, RIMS

Padmashree Simon Oraon Waterman admitted in paralysis attack, RIMS

झारखंड के वाटरमैन नाम से मशहूर पद्मश्री से सम्मानित सिमोन उरांव को पैरालिसिस अटैक आया है। पैरालिसिस अटैक आने के बाद उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्हें इलाज के लिए बेड़ो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रांची स्थित रिम्स में भर्ती कर दिया गया है। वह राजधारी रांची से 38 किलोमीटर दूर बेड़ो के खख्शटोली निवासी है।

उनकी तबीयत बुधवार को ही खराब हो गई थी। मगर शुक्रवार को तबीयत ज्यादा बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। उनकी तबीयत खराब होने के बाद इलाज के लिए पहले बेड़ो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया दया था। वहां उनका इलाज CHC की प्रभारी चिकित्सक डॉ सुमित्रा कुमारी और डॉ कुसुमलता ने शुरू किया था, मगर बाद में उन्हें रांची स्थित रिम्स रेफर कर दिया गया। इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि इन्हें पैरालाइसिस अटैक आया है और इनका बीपी भी बढ़ा हुआ है।

बता दें, सिमोन उरांव को भारत सरकार द्वारा 2016 में पद्मश्री के नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें पद्मश्री का पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिया था। उन्हें यह पुरस्कार जल संरक्षण के क्षेत्र में बड़े कार्यों के लिए दिया गया था। उन्हें झारखंड राज्य में सूखे से निपटने के लिए काम करने के लिए जाना जाता है। उन्हें अपने कार्यों की वजह से 'वाटरमैन' के नाम से जाना जाता है।

उनका जन्म बेड़ो गांव में हुआ था, वहां पानी की बहुत समस्या थी। पहाड़ी इलाके के कारण यह पीने और सिंचाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। यह देखकर सिमोन ने अपनी बचपन में ही इस समस्या का समाधान निकालने की ठान ली। सबसे पहले उन्होंने अपनी मेहनत से कुआं खोद डाला, उनसे प्रेरित होकर इस कार्य में कई और लोग जुड़ गए। देखते देखते सिमोन उरांव ने ग्रामीणों की मदद से अपने इलाके में तीन बांध , 5 तालाब , और कई कुआं खोद डाली।

उनकी मेहनत रंग लाई और बांध और तालाबों में बरसात के पानी के जमाव से भूमि का जलस्तर भी उपर आ गया और पीने के पानी के साथ साथ लोग खेती भी करने लगे। वहीं जो लोग पानी की समस्या के कारण पलायन कर बाहर बाहर चले गए थे वो लोग भी वापस आ गए। जिस जमीन पर एक फसल भी ठीक से नहीं हो पाती थी वहां लोग साल में तीन-तीन फसल उगाने लगे। लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार आने लगा। सिमोन उरांव के इस कारनामें के बाद गांव के लोग उन्हें 'पानी बाबा' नाम से पुकारते हैं।


सिमोन उरांव को पद्मश्री के अलावा कई राष्टीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें अमेरिकन मेडल ऑफ ऑनर लिमिटेड स्टा्राकिंग 2002 पुरस्कार के लिए चुना जा चुका है। इसके अलावा विकास भारती विशुनपुर से जल मित्र का और झारखंड की तरफ से सम्मान भी मिला है। वहीं पर्यावरण और जल संरक्षण के प्रति समर्पित पद्मश्री सिमोन उरांव के जीवन और उनके कार्यों पर फिल्म भी बन चुकी है। डायरेक्टर बीजू टोप्पो द्वारा फिल्म 'झरिया (द स्प्रिंग)' नामक फिल्म बनाई।

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