
एक्टर दिलीप। (फोटो- X/@Diliponline)
केरल में मलयाली एक्टर गोपालकृष्णन उर्फ दिलीप को 2017 के यौन उत्पीड़न मामले में अदालत ने बरी किया है। दिलीप पर आरोप था कि उन्होंने एक महिला अभिनेत्री का अपहरण और यौन उत्पीड़न किया था।
पुलिस ने दावा किया था कि दिलीप ने इस हमले की साजिश रची थी, लेकिन अदालत ने दिलीप को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।
अब इस मामले से जुड़ी जो बात सामने आई है, उसने सबको चौंका दिया है। दरअसल, केरल हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने इस केस में ज्यूडिशियल कॉन्फिडेंशियलिटी पर गंभीर चिंताई है।
एसोसिएशन ने मंगलवार को बताया कि उन्हें इस केस में फैसले के जरूरी कंटेंट की डिटेल वाला एक गुमनाम लेटर मिला था, जो फैसला सुनाए जाने से एक हफ्ते पहले का है।
एसोसिएशन ने बताया कि यह पत्र 2 दिसंबर को किसी अनजान शख्स ने भेजा था। इसमें दावा किया गया था कि 8 दिसंबर, 2025 को आने वाले फैसले में सातवें आरोपी चार्ली थॉमस, आठवें आरोपी गोपालकृष्णन उर्फ दिलीप, और नौवें आरोपी सनीलकुमार उर्फ मेस्थिरी सनील को बाहर रखा जाएगा।
पत्र में यह भी दावा किया कि फैसला केवल छह आरोपियों के खिलाफ सुनाया जाएगा। इस पत्र को एसोसिएशन ने 8 दिसंबर को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया। जबकि उसी दिन एर्नाकुलम डिस्ट्रिक्ट और प्रिंसिपल सेशंस कोर्ट ने अपना ऑर्डर सुनाया।
एसोसिएशन के प्रेसिडेंट यशवंत शेनॉय ने 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' को पत्र के बारे में जानकारी दी। उन्होने बताया कि पत्र को सही एक्शन के लिए चीफ जस्टिस के पास भेज दिया गया है।
इस स्थिति को गोपनीयता का गंभीर उल्लंघन बताते हुए शेनॉय ने कहा कि यह पता लगाने के लिए जांच शुरू की जानी चाहिए कि इतनी सेंसिटिव जानकारी कैसे लीक हुई?
उन्होंने कहा- मुझे अभी तक हाई कोर्ट से कोई जवाब नहीं मिला है। लेटर के कंटेंट से ज्यूडिशियल सिस्टम की छवि खराब हो सकती है। इसलिए, लेटर कहां से आया? यह पता लगाने के लिए सही जांच की जरूरत है।
शेनॉय के मुताबिक, लेटर में यह भी दावा किया था कि जज हनी एम वर्गीस ने अपनी करीबी सहयोगी शर्ली के जरिए फैसला तैयार किया था।
जिसे एक होटल बिजनेमैन और एक्टर सुनील के करीबी को दिखाकर डील पक्की की गई थी। पहले ही सुनील के साथियों को बता दिया गया था कि 8 दिसंबर को क्या फैसला आएगा।
लेटर में यह दावा किया गया कि केरल हाई कोर्ट के दो सीनियर जजों ने सभी मामलों में उनका साथ दिया है। ऐसे मामलों से न्याय कमजोर होता है।
वहीं, चीफ जस्टिस को लिखे अपने लेटर में एसोसिएशन कहा कि केस का नतीजा चाहे जो भी हो, लेटर में जिन लोगों के नाम हैं, उन्हें वेरिफाई किया जाना चाहिए।
एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस से रिक्वेस्ट की कि वे इसे विजिलेंस रजिस्ट्रार या किसी दूसरी एजेंसी को भेज दें ताकि पूरे मामले की अच्छी तरह से जांच की जा सके।
Published on:
10 Dec 2025 01:56 pm
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