
Karnataka High Court
कर्नाटक हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा के मामले में कहा है कि मुआवजा केवल घरेलू हिंसा साबित होने पर ही दिया जा सकता है लेकिन याचिकाकर्ता पत्नी ने इसाई धर्म अपना कर अपने सभी निहित अधिकार खो दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पत्नी ने स्वीकार किया है कि उसने अपना धर्म बदल लिया है। जब उसने इसाई धर्म स्वीकार कर लिया है तो किसी भी सक्षम न्यायालय से विवाह विच्छेद का औपचारिक आदेश नहीं होने के बावजूद विवाह भंग हो गया है और उसके सभी निहित अधिकार समाप्त हो गए। हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें पत्नी को भरण पोषण में असमर्थ मानकर चार लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।
'महिला दूसरे आदमी के साथ रहती हो तो उसे गुजारा भत्ता नहीं मिल सकता'
पिछले महीने कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि दूसरे आदमी के साथ संबंध रखने वाली महिला को पति से गुजारा-भत्ता लेने का अधिकार नहीं है। पत्नी को गुजारा भत्ता लेने का अधिकार तभी तक रहता है जबतक महिला पति के साथ ईमानदार हो। जस्टिस राजेंद्र बदामीकर ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। महिला ने हाईकोर्ट में चिक्कामगलुरु के सेशन कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उसे गुजारा भत्ता ना देने का आदेश दिया गया था।
'महिला का कैरेक्टर सही नहीं तो वह पति पर कैसे उंगली उठा सकती'
महिला ने दावा कि वो कानूनी तौर पर शादीशुदा है और ऐसे में वह गुजारा-भत्ता की हकदार है। महिला ने अपने पति पर अवैध संबंध का भी आरोप लगाया। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि जब महिला का अपना कैरेक्टर ही सही नहीं है तो वो पति पर उंगली नहीं उठा सकती।
पति ने कोर्ट को बताया कि महिला एक पड़ोसी के साथ भाग गई थी और उसने पति के साथ रहने से इनकार कर दिया था। साल 2009 में महिला ने घरेलू हिंसा कानून के तहत याचिका दायर की थी। इसमें उसने पति से 25 हजार रुपए जुर्माने के साथ हर महीने 3000 रुपए गुजारा-भत्ता की मांग की थी।
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Published on:
01 Nov 2023 07:46 am
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