
केरल हाईकोर्ट (फोटो- आईएनएस)
केरल हाईकोर्ट ने पारिवारिक संपत्ति और बच्चों के अधिकारों से जुड़े मामले में एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जस्टिस निनन और पी. कुमार ने 19 दिसंबर 2025 को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि अगर किसी बच्चे का जन्म एक वैध शादी के दौरान हुआ है तो कानून उस बच्चे को वैध मानने के पक्ष में है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी बच्चे का जन्म शादी के चार महीने के अंदर हो जाता है तो भी वह अपने दिवंगत पिता की संपत्ति में बराबर के हिस्से का हकदार है।
कोर्ट ने एक महिला और उसकी बच्ची की याचिका की सुनवाई के दौरान यह फैसला लिया है। महिला के पति कृष्णन की मृत्यु 2012 में हो गई थी लेकिन मरने से पहले उसने अपनी कोई वसीयत तैयार नहीं की थी। मृतक की पत्नी ने अपने पति की संपत्ति में हिस्सा मांगने के लिए निचली अदालत में एक याचिका दायर की थी। निचली अदालत ने महिला की याचिका को खारिज कर दिया था क्योंकि कानून का संबंधित प्रावधन शादी के चार महीने के भीतर जन्मे बच्चे को स्वीकार नहीं करता है।
निचली अदालत से राहत नहीं मिलने पर महिला ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए बेटी के पक्ष में फैसला सुनाया। मामले की सुनवाई के दौरान केरल हाईकोर्ट ने यह साफ किया कि अगर यह साबित हो चुका है कि याचिकाकर्ता बच्ची अपने पिता की कानूनी वारिस है तो उसे अपने पिता की संपत्ति में बाकी बच्चों के बराबर का हक मिलेगा। अदालत ने इस बात पर जोर दिया है कि अगर पति-पत्नी की शादी कानूनी रूप से चल रही है और उस बीच बच्चा पैदा होता है, तो कानून मानकर चलता है कि वह बच्चा उसी पति का है।
कोर्ट ने आगे कहा अगर बच्चे का जन्म शादी के चार महीने के अंदर हुआ हो तो भी एविडेंस एक्ट की धारा 112 के तहत उस बच्चे को कानूनी रूप से उसी शादी से जन्मा बच्चा माना जाएगा। जब तक कि यह साबित न कर दिया जाए कि जिस समय गर्भ ठहरा था, उस दौरान पति-पत्नी का एक-दूसरे से कोई संपर्क नहीं था। केरल हाईकोर्ट के अनुसार, धारा 112 को लागू करने के लिए यह जरूरी नहीं है कि पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध (access) सिर्फ शादी के बाद ही हुए हों।
Published on:
23 Dec 2025 01:23 pm
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
