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बिहार कांग्रेस अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा का पत्ता कट गया। और उनकी जगह राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेहद खास राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह को बिहार कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुना गया है। अखिलेश प्रसाद सिंह की भूमिहार जाति में काफी पैठ है। और राजद छोड़कर कांग्रेस का हाथ पकड़ा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की नई रणनीति की तहत अब कांग्रेस की नजर सवर्ण (अगड़े) जातियों पर है। कई महीनों से राजद और कांग्रेस के रिश्ते कभी खटास तो कभी मिठास आ रहा है। फिलहाल कांग्रेस महागठबंधन में है। अखिलेश प्रसाद सिंह बिहार सरकार और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं।
सवर्ण को लुभाने की रणनीति
बताया जा रहा है कि, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष की बागडोर पहले भी सवर्ण के पास थी। अब नए भी सवर्ण जाति से सम्बंध रखते हैं। सवर्ण के अध्यक्ष बनने से दलित, पिछड़े, अति पिछड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष पनप रहा है।
वक्त बताएगा नया बदलाव कितना कारगर
नए कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को प्रदेश की जिम्मेदारी संभालते हुए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसमें कोई शक नहीं कि कांग्रेस, बिहार में वर्षों से अपनी खोई जमीन तलाशने में जुटी है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल रही है। पर अब इंतजार करना होगा कि, यह नया बदलाव कितना कारगर है।
सबको एक साथ लेकर चलना बड़ी चुनौती
अखिलेश प्रसाद सिंह के लिए एक और महत्वपूर्ण कार्य है कि, पार्टी संगठन को एकजुट रखना। बिहार में कांग्रेस कई खेमों में बंटी है। ऐसे में सिंह के सामने सभी खेमों को एकजुट करने की भी चुनौती होगी।
डॉ मदन मोहन झा के कार्यकाल ने नहीं छोड़ा खास प्रभाव
डॉ मदन मोहन झा के कार्यकाल में 2019 का लोकसभा चुनाव, 2020 का विधानसभा चुनाव हुए लेकिन कांग्रेस बिहार में कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी। 2020 के चुनाव में 70 सीटों पर चुनाव लड़कर कांग्रेस महज 19 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी थी।
Updated on:
06 Dec 2022 11:58 am
Published on:
06 Dec 2022 11:40 am
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