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महाराष्ट्र को पंसद नहीं आया ‘तोडफ़ोड़’, अजित पवार के साथ आना से भी बीजेपी को नहीं मिला फायदा

Lok Sabha Elections 2024: महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम ने यह ऐलान कर दिया है कि मराठी माणुष की अस्मिता के साथ कोई खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, पढ़िए दौलत सिंह चौहान की विशेष रिपोर्ट…

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महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम ने यह ऐलान कर दिया है कि मराठी माणुष की अस्मिता के साथ कोई खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। फिर चाहे वह दिल्ली का दरबार ही क्यों न हो? इसके साथ ही यह भी बता दिया है कि उन्हें अपनी अस्मिता से उपजी पार्टी शिवसेना और एनसीपी से किसी प्रकार की तोडफ़ोड़ नाकाबिले बर्दाश्त है।

भाजपा मजबूत होने की बजाय कमजोर हुई

भाजपा ने महा विकास अघाड़ी की सरकार को गिरा कर सरकार बनाने के लिए जो कुछ किया और उसके बाद बहुमत होते हुए भी एनसीपी तोड़ कर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे अजित पवार को सरकार में शामिल किया। यह जनता को न समझ आया न ही पसंद। लोकसभा चुनाव के नतीजों से स्पष्ट है कि भाजपा ने अपने को मजबूत करने के लिए जितने भी दांव महाराष्ट्र में चले वे सारे के सारे उलटे पड़ गए और भाजपा मजबूत होने की बजाय कमजोर हो गई। यानी चौबेजी छब्बेजी बनने चले थे पर दुबेजी रह गए।

सीएम शिंदे और बीजेपी की संबंधों में खटास आई

राज्य में मुख्यमंत्री रह चुके भाजपा के दिग्गज नेता देवेंद्र फड़णवीस का शिवसेना तोड़ कर आए एकनाथ शिंदे के अधीन उप मुख्यमंत्री का पद स्वीकार कर लेना भी जनता के गले नहीं उतरा और इससे भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचा। राज्य सरकार बनने के बाद उप मुख्यमंत्री होते हुए भी देवेंद्र फड़णवीस का सीएम एकनाथ शिंदे पर डोमिनेट करना भाजपा की सहयोगी शिवेसना शिंदे के लिए घातक साबित हुआ। चाचा शरद पवार के साथ धोखा करके आए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे अजित पवार के मामले में बिलकुल स्पष्ट रूप से सामने आ गया कि उन्हें केंद्रीय जांच एजेंसियों के दबाव में सरकार में लाया गया।

इससे भी अहम बात यह थी कि अजित पवार के आने से सीएम शिंदे और उनकी पार्टी कतई खुश नहीं थे। इससे भाजपा और शिवसेना शिंदे के संबंधों में खटास आई। यह खटास लोकसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे में सामने भी आई। उस समय मतभेद के बिंदुओं का समाधान निकालने की बजाय मामले को दबा दिया गया, लेकिन लोकसभा के नतीजों ने सारी पोल खोल कर रख दी।

महाराष्ट्र में कांग्रेस बनी सबसे बड़ी पार्टी

कांग्रेस बनी महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी 2019 के चुनावों में पूरे महाराष्ट्र में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी। इस बार का सूरत-ए-हाल यह है कि भाजपा की मात्र 10 सीटें आ रही है वहीं राज्य सरकार में उसकी साझीदार शिवेसना शिंदे की बमुश्किल 6 सीटें आती दिख रही हैं, जबकि एनसीपी पवार की 1 सीट यानी कुल 16-17 सीटें महायुति की आ रही हैं। कांग्रेस बड़ा उलटफेर करते हुए 13 सीटों पर जीत हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। कुल मिलाकर आंकड़ा महायुति का जहां 18 पर अटका है, वहीं महा विकास अघाड़ी 27 सीटों पर जा रही है। एक सीट अन्य ने जीती है। महाराष्ट्र के इन नतीजों से भाजपा को जहां केंद्र में लगातार तीसरी बार बहुमत हासिल करने की दौड़ में मात खानी पड़ गई। महाराष्ट्र में बनी महायुति में भाजपा के साथी शिवसेना शिंदे और एनसीपी (अजित) को महाराष्ट्र की जनता ने नकारते हुए शिवसेना उद्धव को और एनसीपी शरद पवार को असली के रूप में मान्यता दी है।

विधानसभा का बिगड़ जाएगा गणित

इस चुनाव में महा विकास अघाड़ी को 48 में से 27 और महायुति को 18 सीटें मिली। अंत में, इन नतीजों का महाराष्ट्र की मौजूदा और इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों की राजनीति पर बड़ा असर पडऩे वाला है। इस विफलता के बाद महायुति में शामिल शिवसेना शिंदे और अजीत पवार के प्रति भाजपा का रवैया सख्त हो सकता है। राज्य में नेतृत्व परिवर्तन भी संभव है। विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा नया साथी साधने की कोशिश कर सकती है।

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