
हिंसा के बाद म्यांमार भागे 212 लोगों की हुई वापसी, सीएम बीरेन सिंह ने सेना को कहा शुक्रिया
manipur violence मणिपुर में 3 मई से दो समुदाय के बीच जातीय हिंसा जारी है। दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं। कुकी और मैतई समुदाय के बीच भड़की हिंसा के कारण बड़ी संख्या में मणिपुर के लोग अपने राज्य को छोड़कर पड़ोसी राज्य या पड़ोसी देश भाग गए थे। इसी बीच मणिपुर हिंसा के बीच जान बचाने के लिए म्यांमार गए 212 मैतेई लोग वापस मणिपुर आ गए हैं। ये सभी 3 मई को मोरे गांव में हिंसा के बाद म्यांमार चले गए थे। राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक्स पर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सभी लोगों के लौट आने पर राहत और कृतज्ञता महसूस कर रहा हूं। सीएम ने आगे कहा "सभी लोगों को वापस लाने में भारतीय सेना ने समर्पण भाव दिखाया। मैं ईस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता, 3 कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल एचएस साही और 5 असम राइफल्स के कमांडिंग अफसर राहुल जैन को उनकी दृढ़ सेवा के लिए धन्यवाद देता हूं।"
मैतेई समुदाय ने की सुरक्षा की मांग
मोरेह में कुकी, मैतेई और तमिल तीनों समुदाय की अच्छी खासी आबादी है। जिनकी जड़ें बहुत पुराने समय से यहां है। हालांकि मुख्यमंत्री ने अपने ट्विट में यह नहीं कहा कि क्या मैतेई लोग मोरेह में अपनी बची हुई संपत्ति पर लौट आए हैं, या फिर उन्हें इम्फाल घाटी में किसी दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया गया है।
जातियों के विवाद के बाद, कुकी समुदाय के लोग मणिपुर से अलग एक अलग प्रशासन बनाने की मांग कर रहे हैं, उनका कहना है कि अब मैतेई लोगों के साथ रहना असंभव है, हमें हर हाल में एक अलग प्रशासन चाहिए।
वहीं, मैतेई समुदाय के लोगों का कहना है कि हमारा इस हिंसा में बहुत नुकसान हुआ है, हमारे बहुत लोग मारे गए, गांव के गांव जला दिये गए। अब इसपर रोक लगनी चाहिए। प्रशासन को हमारे समुदाय के लोगों को अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया कराना चाहिए, ताकि हम चैन की सांस ले सके।
लूटे गए हथियारों की बरामदगी के लिए चल रही छापेमारी
मणिपुर पुलिस ने बताया कि पुलिस से लूटे गए हथियार और गोला-बारूद की बरामदगी के लिए सुरक्षा बल पहाड़ी और घाटी इलाकों में लगातार छापेमारी कर रही हैं। अब तक इस छापेमारी में घाटी के जिलों में 1057 हथियार और 14201 गोला-बारूद बरामद किए गए हैं और पहाड़ी जिलों में 138 हथियार और 121 गोला-बारूद बरामद हुए हैं।
विवाद का कारण जानिए
कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला है, लेकिन मैतेई अनूसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे हैं। नागा और कुकी का साफ मानना है कि सारी विकास की मलाई मूल निवासी मैतेई ले लेते हैं। आजादी के समय कुकी समुदाय के लोग मात्र 4 प्रतिशत थे लेकिन बाद में इनकी आबादी एकाएक बढ़ी।
मणिपुर के सीएम बिरेन सिंह ने मौजूदा हालात के लिए म्यांमार से घुसपैठ और अवैध हथियारों को ही जिम्मेदार ठहराया है। करीब 200 सालों से कुकी को स्टेट का संरक्षण मिला। बाद में अधिकतर ने इसाई धर्म स्वीकार कर लिया जिसका फायदा मिला और एसटी स्टेटस भी मिला। अब सारा बवाल इसी मामले को लेकर मचा है।
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Published on:
19 Aug 2023 12:02 pm
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