नई दिल्लीPublished: Mar 24, 2023 02:25:43 pm
Shaitan Prajapat
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने 2011 के फैसले को कानून की दृष्टि से खराब करार दिया, जिसमें कहा गया था कि किसी प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता मात्र से कोई व्यक्ति तब तक अपराधी नहीं बनेगा जब तक कि वह हिंसा का सहारा नहीं लेता या लोगों को हिंसा के लिए उकसाता नहीं है।
देश की सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम संशोधन अधिनियम, 2008 (यूएपीए) के एक मामले पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि यदि कोई व्यक्ति भारत में प्रतिबंधित किसी संगठन का सदस्य भी होता है तो उसको यूएपीए के तहत आरोपी मानते हुए कार्रवाई की जाएगी। जस्टिस एमआर शाह, सीटी रविकुमार और संजय करोल की तीन सदस्यीय पीठ ने यह फैसला सुनाया। शीर्ष कोर्ट ने शुक्रवार को अपने 2011 के फैसले को कानून की दृष्टि से खराब करार दिया, जिसमें कहा गया था कि किसी प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता मात्र से कोई व्यक्ति तब तक अपराधी नहीं बनेगा जब तक कि वह हिंसा का सहारा नहीं लेता या लोगों को हिंसा के लिए उकसाता नहीं है।