
Milk Price Hike: कर्नाटक की जनता के लिए एक चौंकाने वाली खबर गुरुवार को सामने आई, जब राज्य सरकार ने नंदिनी दूध और दही की बिक्री मूल्य में 4 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की घोषणा कर दी। यह नया फैसला 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा और इसके पीछे सरकार का तर्क दुग्ध उत्पादन की बढ़ती लागत और डेयरी किसानों को सहायता देना है। यह निर्णय मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के दौरान लिया गया, जिसने राज्य भर में चर्चा का माहौल गर्म कर दिया है।
कर्नाटक सहकारी दुग्ध उत्पादक महासंघ (KMF) द्वारा संचालित नंदिनी ब्रांड के दूध और दही की कीमतों में यह बढ़ोतरी आम लोगों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है। अभी तक एक लीटर नंदिनी टोंड दूध की कीमत 44 रुपये थी, जो अब बढ़कर 48 रुपये हो जाएगी। इसी तरह, दही की कीमत भी 4 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ाई गई है। सरकार का कहना है कि यह कदम किसानों के हित में उठाया गया है, ताकि उन्हें उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके। लेकिन, इस अचानक वृद्धि ने उपभोक्ताओं के बीच असंतोष की लहर पैदा कर दी है, खासकर तब जब रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों की कीमतें पहले ही आसमान छू रही हैं।
कैबिनेट बैठक के बाद पशुपालन मंत्री के. वेंकटेश ने संवाददाताओं से बातचीत में इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह सहमति बनी कि दूध उत्पादन और प्रसंस्करण की लागत को देखते हुए नंदिनी दूध और दही की कीमत 4 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई जाए।” मंत्री ने यह भी जोड़ा कि इस बढ़ोतरी का पूरा लाभ सीधे दूध उत्पादक किसानों तक पहुंचाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। उनका दावा है कि यह फैसला राज्य में डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए जरूरी था, क्योंकि पिछले कुछ समय से किसान उत्पादन लागत में बढ़ोतरी की शिकायत कर रहे थे।
हालांकि, यह निर्णय उस समय आया है, जब राज्य में पहले ही बस और मेट्रो किराए, बिजली की दरों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हो चुका है। नंदिनी दूध, जो कर्नाटक के हर घर में एक जरूरी हिस्सा है, उसकी कीमत में यह बढ़ोतरी मध्यमवर्गीय परिवारों के बजट पर भारी पड़ सकती है। विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए इसे जनविरोधी कदम करार दिया है। उनका कहना है कि कांग्रेस सरकार महंगाई को नियंत्रित करने के अपने वादों से मुकर रही है और आम आदमी पर बोझ डाल रही है।
दूसरी ओर, सरकार का तर्क है कि यह बढ़ोतरी अन्य राज्यों की तुलना में नंदिनी दूध को अभी भी सस्ता रखती है। फिर भी, उपभोक्ताओं के लिए यह सवाल बना हुआ है कि क्या यह फैसला वास्तव में किसानों के लिए राहत लाएगा या यह सिर्फ एक और आर्थिक बोझ बनकर रह जाएगा। 1 अप्रैल से लागू होने वाली इस नई कीमत के साथ, कर्नाटक के लोग अब अपने दैनिक खर्च को फिर से संतुलित करने की तैयारी में जुट गए हैं। यह देखना बाकी है कि यह अचानक लिया गया निर्णय सरकार और जनता के बीच के रिश्ते पर क्या असर डालेगा।
Updated on:
29 Mar 2025 09:57 am
Published on:
27 Mar 2025 09:18 pm
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