6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Red Fort Attack Case : लाल किला हमले के दोषी अशफाक को मिलेगी फांसी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पुनर्विचार याचिका

Supreme Court dismisses review petition वर्ष 2000 में लाल किले हमले के दोषी अशफाक को फांसी की सजा बरकरार रहेगी। अशफाक की फांसी की सजा से राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की गई थी। इस रिव्यू पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया है।    

2 min read
Google source verification
lal_kila.jpg

Red Fort Attack Case: लाल किला हमले के दोषी अशफाक को मिलेगी फांसी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पुनर्विचार याचिका

वर्ष 2000 में लाल किले हमले के दोषी अशफाक को फांसी की सजा बरकरार रहेगी। अशफाक की फांसी की सजा से राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की गई थी। इस रिव्यू पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया है। लश्कर-ए-तैयबा आतंकी संगठन ने 22 दिसंबर 2000 में लाल किले पर आतंकवादी हमला किया था। इस हमले में दो सैनिकों सहित 3 अन्य लोगों की मौत हो गई थी। भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में दो आतंकियों को ढेर कर दिया गया था। लाल किला हमले के मामले में 31 अक्टूबर 2005 को निचली अदालत ने मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

लाल किला हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया है। फांसी से राहत देने के लिए मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है।

अशफाक का अपराध साबित होता है - चीफ जस्टिस यू.यू. ललित

लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस यू.यू. ललित ने कहा, अदालत द्वारा लिए गए विचार की पुष्टि के बाद समीक्षा याचिका खारिज की जाती है। पीठ में जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, मामले की संपूर्णता को देखते हुए, अशफाक का अपराध साबित होता है। मामले में विस्तृत आदेश बाद में अपलोड किया जाएगा।

अशफाक की याचिका लगातार हुई खारिज

वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी। उसके बाद अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की सजा को लेकर दायर की गई रिव्यू पिटीशन को भी खारिज कर दिया है।

निचली अदालत सुनाई थी मौत की सजा

नवंबर 2005 में निचली अदालत ने आरिफ को मौत की सजा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट ने हमले के लिए आरिफ पर 4.35 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था। वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने 2007 में आरिफ की मौत की सजा को बरकरार रखा था।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2015 में याकूब मेमन और आरिफ की याचिका पर ही ऐतिहासिक फैसला दिया था कि, फांसी की सज़ा पाए दोषियों की पुनर्विचार याचिका ओपन कोर्ट में सुनी जानी चाहिए। इससे पहले पुनर्विचार याचिका की सुनवाई न्यायधीश अपने चैम्बर में करते थे। जानकारों के अनुसार, यह पहला मामला था, जिसमें फांसी की सज़ा पाए किसी दोषी की पुनर्विचार याचिका और क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर दोबारा सुनवाई की।

यह भी पढ़े - जस्टिस चंद्रचूड़ 9 नवंबर को सीजेआई की लेंगे शपथ, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

यह भी पढ़े - दुनिया के 500 प्रभावशाली मुसलमानों की लिस्ट में महमूद मदनी व मीरवाइज शामिल