
New Income Tax Bill 2025: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने गुरुवार को नया इनकम टैक्स बिल हंगामे के बीच लोकसभा में पेश कर दिया। बिल को आगे विचार-विमर्श के लिए संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा। बिल एक अप्रेल, 2026 से लागू होने की उम्मीद है। यह छह दशक पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह लेगा। प्रस्तावित कानून को आयकर अधिनियम, 2025 के रूप में जाना जाएगा। बिल में कई महत्त्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। अब वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (Virtual Digital Assets) (क्रिप्टो करेंसी शामिल) को संपत्ति की तरह माना जाएगा। इन पर प्रॉपर्टी, ज्वेलरी और शेयर की तरह टैक्स लगेगा। इससे डिजिटल ट्रांजैक्शन को पारदर्शी बनाया जा सकेगा और कानूनी तरीके से कंट्रोल किया जा सकेगा। बिल में आयकर की भाषा को सरल बनाने के साथ गैर-जरूरी करीब 300 से अधिक प्रावधानों और स्पष्टीकरणों को हटाने का प्रस्ताव है।बिल पर संसदीय समिति अपनी सिफारिशें देगी। सरकार कैबिनेट के माध्यम से इस पर निर्णय करेगी कि क्या इन संशोधनों को शामिल करने की जरूरत है। इसके बाद विधेयक संसद में वापस आएगा और सरकार इसके रोलआउट की तारीख पर फैसला करेगी।
असेसमेंट ईयर की जगह टैक्स ईयरनए आयकर विधेयक में असेसमेंट ईयर और प्रीवियस ईयर की अवधारणा को खत्म करते हुए टैक्स ईयर की बात कही गई है। करदाताओं को टैक्स भरते समय इसे लेकर दुविधा का सामना करना पड़ता था।
नए बिल में अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की समय-सीमा दो साल से बढ़ाकर चार साल करने का प्रस्ताव है। इससे करदाताओं को किसी भी चूक या त्रुटि को सुधारने के लिए अतिरिक्त समय मिल जाएगा।
नौकरीपेशा लोगों के लिए टैक्स सिस्टम में बदलाव किया गया है। पुराने टैक्स रिजीम में पहले की तरह 50,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता रहेगा। नए रिजीम में डिडक्शन बढक़र 75,000 रुपए तक हो जाएगा। हालांकि टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
आय टैक्स
4 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं
4,00,001 से 8 लाख रुपए तक 5 प्रतिशत
8,00,001 से 12 लाख रुपए तक 10 प्रतिशत
12,00,001 से 16 लाख रुपए तक 15 प्रतिशत
16,00,001 से 20 लाख रुपए तक 20 प्रतिशत
न्यू टैक्स रिजीम में सरकार 12 लाख रुपए की आय तक लगने वाला टैक्स सरकार माफ कर देती है। ऐसे में 12 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं लगता।
नए बिल में सीबीडीटी के अधिकारों में बदलाव की बात कही गई है। पहले आयकर विभाग को टैक्स से जुड़ी योजनाएं शुरू करने के लिए संसद से संपर्क करना होता था। अब सीबीडीटी ऐसी योजनाएं शुरू कर सकेगा।
पेंशन, एनपीएस योगदान और बीमा पर करों में छूट जारी रखने का प्रस्ताव है। रिटायरमेंट फंड, ग्रेच्युटी और पीएफ में योगदान को भी आयकर छूट के दायरे में रखा गया है। ईएलएसएस म्यूचुअल फंड में निवेश पर भी कर में छूट की बात कही गई है।
नए बिल के मुताबिक इनकम टैक्स एक्ट की कई धाराएं बदल सकती हैं। अभी इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग का सेक्शन 139 और नई टैक्स रिजीम का सेक्शन 115 बीएसी है। नए बिल में इनसे जुड़े सेक्शन बदले जा सकते हैं या नए सेक्शन जोड़े जा सकते हैं।
नए बिल में टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) से जुड़े नियमों को एक ही सेक्शन में शामिल कर दिया गया है। इससे टैक्सपेयर्स और कंपनियों के लिए टीडीएस कटौती और रिपोर्टिंग की प्रक्रिया आसान होगी।
टैक्स ऑडिट को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि इसके दायरे में कंपनी सेक्रेटरी (सीएस) और कॉस्ट अकाउंटेंट (सीए) को शामिल किया जा सकता है। हालांकि धारा 515(3)(बी) में 'अकाउंटेंट’ का मतलब चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) को बताया गया है। इससे साफ हो गया कि टैक्स ऑडिट करने का अधिकार सिर्फ सीए के पास रहेगा।
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन और शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ये दरें पिछले साल लागू किए गए नियमों के अनुसार ही बनी रहेंगी।
नए बिल में धारा 44एडी/44एई/44एडीए से जुड़े विवाद को खत्म कर दिया है। अब इन धाराओं के तहत लाभ की गणना के तरीके में 'वास्तव में अर्जित लाभ’ जोड़ दिया गया है। इसका मतलब है कि टैक्सपेयर्स को यह दिखाना होगा कि उन्होंने जो लाभ घोषित किया है, वह वास्तव में कमाया भी गया है। कृषि से आमदनी पर छूट और ई-केवाईसी अनिवार्य बिल में सरकार ने कृषि से होने वाली आमदनी को कुछ शर्तों के साथ कर मुक्त रखने का प्रस्ताव किया है। इसके अलावे दान में दी गई राशि पर छूट जारी रहेगी। इलेक्टोरल ट्रस्ट को भी टैक्स छूट देने का प्रस्ताव है। आयकर प्रणाली को अधिक पारदर्शी और आधुनिक बनाने के लिए ई-केवाईसी और ऑनलाइन कर भुगतान को अनिवार्य करने का प्रस्ताव है।
गैर-लाभकारी संगठनों के लिए, धारा 11 से 13 के तहत पिछले कानून में कुछ धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए आयकर छूट प्रदान की गई थी, लेकिन इसमें अनुपालन संबंधी सीमित दिशा-निर्देश थे। नया विधेयक, धारा 332 से 355 में अधिक विस्तृत रूपरेखा स्थापित करता है, जिसमें कर योग्य आय, अनुपालन नियम और वाणिज्यिक गतिविधियों पर प्रतिबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
Published on:
14 Feb 2025 08:59 am
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