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द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह से लेकर बीजेपी के कई कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए नीतीश कुमार, आखिर क्या है सीएम की नाराजगी?

नीतीश कुमार देश के इकलौते सीएम हैं जो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए। इसके साथ ही वह पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के फेयरवेल कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए थे। इन कार्यक्रमों में शामिल न होने की वजह नीतीश कुमार की बीजेपी की नाराजगी बताई जा रही है। इससे पहले भी वो बीजेपी द्वारा आयोजित कई कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए थे।

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Nitish Kumar is the only CM of the country who made a distance from the swearing-in ceremony of the President Draupadi Murmu

Nitish Kumar is the only CM of the country who made a distance from the swearing-in ceremony of the President Draupadi Murmu

देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज शपथ ली। इस शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संसद सदस्य और सरकार के प्रमुख असैन्य एवं सैन्य अधिकारी भी शामिल हुए। मगर बिहार के मुख्यमंत्री सीएम नीतीश कुमार इस कार्यक्रम से नदारद रहे। इससे पहले वो रामनाथ कोविंद के फेयरवेल में भी शामिल नहीं हुए। इसके अलावा उन्होंने खुद को हाल के दिनों में बीजेपी द्वारा आयोजित किए कार्यक्रमों से भी दूर रखा। वहीं उनकी कार्यक्रमों में अनुपस्थिति को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है की नीतीश कुमार बीजेपी से नाराज चल रहे हैं।

ये पहली बार नही जब CM नीतीश कुमार ने दिल्ली से अपनी दूरी बनाई हुई है। शुक्रवार को भी वो पुर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित रात्रिभोज में शामिल नहीं हुए थे। उस समय उन्होंने विधान परिषद के सात नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ समारोह का हवाला देते हुए अपने आप को उस कार्यक्रम से अलग रखा था। 17 जुलाई को उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलायी गयी मुख्यमंत्रियों की एक बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था। उनकी जगह राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए हुई बैठक में भाजपा के तारकिशोर प्रसाद बिहार से हिस्सा लेने पहुंचे थे।

नीतीश कुमार ने ये दूरियां तब से ही बनानी शुरू कर दी थी जब बिहार विधान सभा का शताब्दी समारोह आयोजित किया गया था। ऐसा माना जा रहा है कि बिहार विधान सभा के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री के संबोधन के लिए उन्हें आमंत्रित करने में बीजेपी से चूक हुई है। पीएम नरेंद्र मोदी विधानसभा के कार्यक्रम में आए थे, वो स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के निमंत्रण पर वहां पहुंचे थे। उस कार्यक्रम में स्मारिका का विमोचन किया गया, लेकिन उस स्मारिका सीएम नीतीश कुमार की तस्वीर नहीं थी। वहीं समापन समारोह में सिन्हा ने राज्य के पांच बार के मुख्यमंत्री का जिक्र तक नहीं किया।

इसके साथ ही केंद्रीय योजना अग्निवीर को लेकर भी बीजेपी और जेडीयू के बीच दूरियां बढ़ी। पिछले महीने राज्य भाजपा प्रमुख संजय जायसवाल और जदयू के नेताओं के बीच अग्निपथ योजना को लेकर जमकर बयानबाजी देखने को मिली थी। संजय जायसवाल ने अग्निपथ योजना के विरोध में हो रहे प्रदर्शन से निपटने में सरकार पर सवाल उठाते हुए हंगामें को शांत कराने में सरकार को असफल बताया था।

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केंद्र सरकार के बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में नीतीश कुमार का शामिल न होना कहीं न कहीं यह दर्शाता है कि वो भाजपा के हालिया फैसलों से खुश नहीं हैं। हालाकिं इसे लेकर उन्होंने अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई बयान भी नहीं दिया हैं। वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होने की वजह बताते हुए जदयू की तरफ से कहा गया है कि नीतीश कुमार मनरेगा (MNREGA) को लेकर आयोजित बैठक में हिस्सा लेने के कारण इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे। वहीं आज पटना में एक अणे मार्ग सीएम आवास में सामान्य बैठक में नीतीश कुमार शामिल होंगे।

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