
आध्यात्मिक विचारक ओशो (इमेज सोर्स: एक्स पोस्ट)
Osho Real Life Story: कुछ लोग सिर्फ इंसान नहीं होते, एक रहस्य होते हैं… और ओशो उन्हीं में से एक थे, ऐसा कुछ लोगों का मानना है। लेकिन एक बात तो सच है- ओशो का वो दौर भी आया जब दुनिया के कोने-कोने से लोग उनकी बातें सुनने उमड़ पड़ते थे। विदेशी उन्हें सिर्फ गुरु नहीं, बल्कि भगवान की तरह मानने लगे थे। ओशो की आवाज में एक आकर्षण था। तर्क को आज ज्यादा तवज्जो देते थे। जो चीज संभव नहीं है, उसको खुलेआम दरकिनार कर देते थे। उनकी सीख- खुशी, स्वतंत्रता और जागरूकता का रास्ता दुनिया भर में फैला। लेकिन उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बातें भी है, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं… आइए जानते हैं।
आज भी जब कोई “खुश होकर जीने की कला” सीखना चाहता है, तो सबसे पहले ओशो का नाम जुबान पर आ जाता है। 11 दिसंबर 1931 को मध्य प्रदेश के कुचवाड़ा में जन्मे चंद्रमोहन जैन को दुनिया ने ओशो रजनीश के रूप में पहचाना।
ओशो को हमेशा एक ऐसे आध्यात्मिक विचारक के रूप में देखा गया, जिसने न परंपराओं की दीवारें मानीं और न ही किताबों के नियमों में खुद को बांधा। उनका संदेश साफ था- जीवन को एक उत्सव बनाओ। वे कहते थे, “दिल की सुनो… वही आपका असली गुरु है।”
ओशो कहते हैं, "मैं किसी को लंबे-चौड़े उपदेश या शब्दों से नहीं समझाना चाहता। मैं तो बस अपने प्यार, अपनी खुशी और चुप्पी से आपको यह एहसास दिलाना चाहता हूं कि आप इस ब्रह्मांड के केंद्र में हैं। हर इंसान केंद्र में है, क्योंकि केंद्र तो एक ही है। बाहर से हम सब अलग-अलग दिखते हैं, जैसे समुद्र में लहरें अलग-अलग लगती हैं, लेकिन गहराई में सब एक ही हैं। हमारा शरीर, नाम, और देश अलग हो सकते हैं, लेकिन भीतर की चेतना एक ही है। जब आप यह महसूस कर लेंगे, तो सारी चिंता, डर और अलगाव खत्म हो जाएगा। बस इतना याद रखें कि आप अकेले नहीं हैं; आप पूरे ब्रह्मांड हैं।"
ओशो का मानना था कि प्यार का मतलब किसी को बांधना नहीं, बल्कि पूरी आजादी देना है। उनके अनुसार रिश्ते तब टूटते हैं, जब लोग एक-दूसरे की स्वतंत्रता छीनने लगते हैं। वे कहते थे, “जो व्यक्ति अकेले रहकर भी खुश है, वही सच में आजाद है। जिसकी खुशी दूसरे पर टिकी है, वह गुलाम है।” यही बेबाक सोच उन्हें आम लोगों से लेकर हॉलीवुड सितारों तक का पसंदीदा बना देती थी।
ओशो स्त्री को सृष्टि की सबसे सुंदर रचना मानते थे। उनके अनुसार, स्त्री में जीवन की पूरी कोमलता, आकर्षण और ऊर्जा समाई है। उनके प्रवचनों में प्रेम, ध्यान, मृत्यु कुछ भी वर्जित नहीं था। वे हर विषय पर खुलकर बोलते थे, बिना किसी डर के और बिल्कुल नए नजरिए के साथ। इसी वजह से जहां लाखों लोग उन्हें भगवान की तरह मानने लगे, वहीं कुछ लोग उन्हें विवादों का कारण भी समझने लगे।
भारत के जबलपुर और पुणे से लेकर अमेरिका के ओरेगॉन तक ओशो ने कई आश्रम स्थापित किए। पुणे का ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिसॉर्ट आज भी दुनिया भर से आने वाले लोगों का आकर्षण बना हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि ओशो ने खुद कभी किताब नहीं लिखी। वे सिर्फ कहानियां और कविताएं लिखा करते थे। उनकी असली पहचान उनके प्रवचन हैं, जिनके सैकड़ों घंटों के रिकॉर्ड आज भी उपलब्ध हैं और 50 से ज्यादा भाषाओं में अनुवादित हैं।
19 जनवरी 1990 को पुणे में उन्होंने शरीर त्याग दिया। उनकी समाधि पर लिखा वाक्य ही उनकी सोच का सबूत है- न कभी जन्मा, न कभी मरा, बस 11 दिसंबर 1931 से 19 जनवरी 1990 तक पृथ्वी पर भ्रमण किया।”
आज भी युवा पीढ़ी ओशो के विचारों से प्रभावित है। उनका संदेश था कि जीवन को बोझ मत बनाओ, इसे उत्सव की तरह जियो। डर और लालच छोड़ो…सिर्फ प्रेम, जागरूकता और स्वतंत्रता के साथ जियो।
Published on:
11 Dec 2025 06:30 am
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