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Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज चंडीगढ़ दौरे पर हैं। जहां उन्होंने तीन नए आपराधिक कानूनों को राष्ट्र को समर्पित कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि न्याय संहिता समानता, समरसता और सामाजिक न्याय के विचारों से बुनी गई है। हम हमेशा से सुनते आए हैं कि कानून की सनजर में सब बराबर होते हैं लेकिन व्यवहारिक सच्चाई कुछ और ही दिखाई देती है। गरीब, कमजोर व्यक्ति कानून के नाम से डरता था। जहां तक संभव होता था वो कोर्ट कचहरी और थाने में कदम रखने से डरता था। अब भारतीय न्याय संहिता समाज के इस मनोविज्ञान को बदलने का काम करेगी। उसे भरोसा होगा कि देश का कानून समानता की गारंटी है। यही सच्चा सामाजिक न्याय है जिसका भरोसा हमारे संविधान में दिलाया गया है।
पीएम मोदी ने कहा अब महिलाओं के खिलाफ बलात्कार जैसे घृणित अपराधों में पहली सुनवाई से 60 दिन के भीतर चार्ज फ्रेम करने ही होंगे। सुनवाई शुरू होने के 45 दिनों के भीतर-भीतर फैसला भी सुनाया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। यह भी तय किया गया है कि किसी केस में 2 बार से अधिक स्थगन नहीं लिया जा सकेगा। भारतीय न्याय संहिता का मूल मंत्र है नागरिक प्राथमिकता। ये कानून नागरिक अधिकारों के संरक्षक बन रहे हैं, न्याय की सुगमता बन रहे हैं। पहले FIR करवाना भी कितना मुश्किल होता था लेकिन अब शून्य FIR को भी कानूनी रूप दे दिया गया है। अब उसे कहीं से भी केस दर्ज करवाने की सहूलियत मिली है। FIR की कॉपी पीड़ित को दी जाए, उसे ये अधिकार दिया गया है। अब आरोपी के ऊपर कोई केस अगर हटाना भी है तो तभी हटेगा जब पीड़ित की सहमति होगी। अब पुलिस किसी भी व्यक्ति को अपनी मर्जी से हिरासत में नहीं ले सकेगी।
पीएम ने कहा देश की नई न्याय संहिता अपने आप में जितना समग्र दस्तावेज है, इसको बनाने की प्रक्रिया भी उतनी ही व्यापक रही है। इसमें देश के कितने ही महान संविधानविदों और कानूनविदों की मेहनत जुड़ी है। गृह मंत्रालय ने इसे लेकर जनवरी 2020 में सुझाव मांगे थे। इसमें देश के मुख्य न्यायाधीशों का सुझाव और मार्गदर्शन रहा, इसमें हाई कोर्ट के चीफ जस्टिसेज़ ने भरपूर सहयोग दिया। इन सबने वर्षों तक मंथन किया, संवाद किया, अपने अनुभवों को पिरोया, आधुनिक परिपेक्ष्य में देश की जरूरतों पर चर्चा की गई। आजादी के सात दशकों में न्याय व्यवस्था के सामने जो चुनौतियां आईं उन पर गहन मंथन किया गया। हर कानून का व्यवहारिक पक्ष देखा गया। भविष्य के मापदंडों पर उसे कसा गया। तब भारतीय न्याय संहिता अपने इस स्वरूप में हमारे सामने आई है। मैं इसके लिए देश के सुप्रीम कोर्ट का, माननीय न्यायाधीशों का, देश के सभी हाई कोर्ट का विशेषकर हरियाणा और पंजाब हाई कोर्ट का विशेष आभार प्रकट करता हूं। मुझे भरोसा है सबके सहयोग से बनी भारत की ये न्याय संहिता भारत की न्याय यात्रा में मील का पत्थर साबित होगी।
पीएम मोदी ने कहा कि 1857 की क्रांति के तीन साल बाद 1960 में अंग्रेज हुकूमत भारतीय दंड संहिता लेकर आए। उसके बाद इंडियन एविडेंट एक्ट आया और फिर सीआरपीसी का ड्राफ्ट अस्तित्व में आया। यह सब भारतीयों को दंडित करने के लिए थे। हालांकि समय-समय पर इनमें संसोधन हुए लेकिन उनका असली चरित्र वही बना रहा। आजाद देश में गुलामी के लिए बने कानून को क्यों ढोया जाए। यह सवाल न हमने खुद से पूछा न शासन करने वाले लोगों ने इस पर विचार करने की जरूरत समझी। गुलामी की मानसिकता ने भारत की विकास यात्रा को बहुत ज्यादा प्रभावित किया।
Updated on:
03 Dec 2024 02:42 pm
Published on:
03 Dec 2024 02:41 pm
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