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PM मोदी ने कोर्ट में की स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने की अपील, चीफ़ जस्टिस रमन्ना बोले – “अपनी ‘लक्ष्मण रेखा’ का ख़याल रखें”

देश के संविधान में लोकतंत्र के तीनों स्तंभों की शक्तियों के विभाजन का जिक्र करते हुए देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने इनके द्वारा कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान 'लक्ष्मण रेखा' का ध्यान रखने पर जोर दिया है।

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PM मोदी ने कोर्ट में की स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने की अपील, चीफ़ जस्टिस रमन्ना बोले - "अपनी 'लक्ष्मण रेखा' का ख़याल रखें"

PM मोदी ने कोर्ट में की स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने की अपील, चीफ़ जस्टिस रमन्ना बोले - "अपनी 'लक्ष्मण रेखा' का ख़याल रखें"

आज नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन को देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमणा ने भी संबोधित किया। जस्टिस रमणा ने कहा कि अदालतों के फैसलों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर उनका पालन नहीं करना लोकतंत्र की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कानून मंत्री किरेन रिजीजू, राज्यों के मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट-हाई कोर्ट के जस्टिस, ट्रिब्यूनल के प्रमुख और तमाम न्यायिक अधिकारी शामिल हुए थे।

प्रधानमंत्री ने स्थानीय भाषाओं को आगे ले जाने की अपील की। उन्होंने कहा, 'हमें अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए। इससे देश के आम नागरिकों का न्याय व्यवस्था में भरोसा और मजबूत होगा।' सीजेआई रमना ने अदालतों में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल की भी जोरदार पैरवी की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका समर्थन किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने की जरूरत है। इससे न केवल आम आदमी का न्यायिक व्यवस्था में भरोसा बढ़ेगा बल्कि वह अदालतों के कामकाज से कहीं ज्यादा जुड़ाव महसूस करेगा। मोदी ने कहा कि अदालतों में कामकाज अंग्रेजी में होता है और इसलिए देश की एक बड़ी आबादी को अदालत के फैसलों को समझना मुश्किल होता है।

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मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमणा ने कहा कि संविधान राज्य के तीनों अंगों के बीच शक्तियों के पृथक्करण का प्रावधान करता है और अपने कर्तव्य का पालन करते समय 'लक्ष्मण रेखा' का ध्यान रखा जाना चाहिये। उन्होंने आगे कहा अगर यह कानून के अनुसार हो तो न्यायपालिका कभी भी शासन के रास्ते में नहीं आएगी। यदि नगरपालिकाएं, ग्राम पंचायतें अपने कर्तव्यों का पालन करती हैं, यदि पुलिस ठीक से जांच करती है और अवैध हिरासत में यातना समाप्त होती है, तो लोगों को अदालतों की ओर देखने की जरूरत नहीं है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि देशभर में 4 करोड़ 11 लाख केस पेंडिंग हैं। इन पेंडिंग केसों में सरकार सबसे बड़ी पक्षकार है। 50 फीसदी पेंडिंग केसों में सरकार ही पक्षकार है। CJI ने कहा कि अदालत के फैसले पर अमल नहीं हो पा रहा है जो चिंताजनक है। उन्होंने साफ कहा कि सरकार के रवैये के कारण कई बार फैसले पर अमल नहीं होता है। यह सब लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।

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