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Coronavirus Third Wave: कोरोना की तीसरी लहर को लेकर पीएम मोदी की हाई लेवल मीटिंग आज, अक्टूबर में पीक की संभावना

Coronavirus Third Wave की आशंका के बीच पीएम मोदी ने बुलाई हाई लेवल मीटिंग, स्वास्थ्य मंत्रालय, कैबिनेट सचिव और नीति आयोग के अधिकारी हो सकते हैं शामिल

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Dheeraj Sharma

Aug 24, 2021

Coronavirus Third Wave

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की तीसरी लहर ( Coronavirus Third Wave ) की संभावना के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अहम बैठक बुलाई है। इस मीटिंग में पीएम मोदी तीसरी लहर को लेकर की जा रही तैयारियों का ब्यौरा लेने के साथ अब तक के कामों की समीक्षा कर सकते हैं।

बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय, कैबिनेट सचिव और नीति आयोग शामिल हो सकते हैं। बता दें कि हाल में गृहमंत्रालय के निर्देश में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान की ओर से एक रिपोर्ट तैयार की गई। इस रिपोर्ट में अक्टूबर के दौरान तीसरी लहर के पीक पर आने की संभावना जताई गई है। ये रिपोर्ट पीएमओ को सौंपी गई है।

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कोरोना की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी की ओर से बैठक मंगलवार दोपहर 3.30 बजे शुरू होगी। कोरोना के रोजाना मामलों में भले कमी देखने को मिल रही है, लेकिन कई रिपोर्ट्स में एक बार फिर मामले बढ़ने की संभावनाएं जताई गई हैं।

खास तौर पर बच्चों के लिए तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक हो सकती है। ऐसे में पीएम मोदी की ये बैठक काफी अहम मानी जा रही है।

बता दें कि पिछले महीने ही पीएम मोदी ने कैबिनेट में बड़ा बदलाव किया है। उस दौरान स्वास्थ्य समेत कई बड़े मंत्रालयों की जिम्मेदारियां बदली गई थी। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर नई टीम के कामों का लेखा-जोखा भी इस बैठक में अहम रहेगा।

..तो 6 लाख केस रोजाना हो सकते हैं दर्ज
हाल में गृहमंत्रालय के निर्देश पर एनआईडीएम के एक्सपर्ट्स ने एक रिपोर्ट तैयार कर पीएमओ को सौंपी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में अब तक सिर्फ 7.6 फीसदी ( 10.4 करोड़ ) लोगों का ही पूर्ण वैक्सीनेशन हुआ है।

यह भी पढ़ेंः Coroanvirus In India: कोरोना से जंग के बीच बड़ी राहत, मार्च 2020 के बाद एक्टिव मामलों में दर्ज की गई बड़ी गिरावट

ऐसे में मौजूदा टीकाकरण दर की रफ्तार नहीं बढ़ी तो तीसरी लहर में 6 लाख केस रोज दर्ज किए जा सकते हैं।
एनआईडीएम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना की तीसरी लहर में वयस्कों की तरह बच्चों पर भी समान जोखिम है।

बड़ी संख्या में बच्चे संक्रमित होते हैं तो डॉक्टरों, अस्पताल से लेकर वेंटिलेटर्स और एंबुलेंस जैसी सुविधाएं पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। ऐसे में मुश्किल बढ़ सकती है।