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प्राण प्रतिष्ठा से पहले पीएम मोदी का मिशन, राम से जुड़े मंदिरों से दिया ये खास संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से खास मिशन पर है। प्रधानमंत्री का यह मिशन 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' का संदेश देने के लिए है।

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अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान के तहत देशभर के उन प्रमुख मंदिरों में जा रहे हैं, जहां से प्रभु श्रीराम का कनेक्शन है। प्रधानमंत्री का यह मिशन 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' का संदेश देने के लिए है। इसी सिलसिले में वह 20 और 21 जनवरी को तमिलनाडु के रंगनाथस्वामी मंदिर, रामनाथस्वामी मंदिर और कोठंडारामस्वामी मंदिर का दौरा भी करेंगे। इस दौरान वह धनुषकोडी के पास अरिचल मुनाई जाएंगे, जहां पर रामसेतु का निर्माण हुआ था।


प्राण प्रतिष्ठा से पहले पीएम मोदी का मिशन

मोदी ने नासिक से इस मिशन की शुरुआत की। वह पहले कालाराम मंदिर गए, जहां प्रभु राम ने वनवास का कुछ समय बिताया था। यहां मोदी ने रामायण का लंका कांड सुना। बीते बुधवार को पीएम आंध्र-प्रदेश के लेपाक्षी में 486 साल पुराने वीरभद्र मंदिर में राम भजन किया तो रंगनाथ रामायण पर आधारित कठपुतलियों की रामकथा भी देखी थी। इसके बाद केरल के त्रिप्रयार श्रीराम मंदिर में जल चढ़ाया।

आठ भाषाओं में सुनेंगे रामकथा

मोदी तमिलनाडु दौरे के दौरान रामेश्वरम में रामायण पारायण' कार्यक्रम में हिस्सा लेकर आठ अलग-अलग भाषाओं- संस्कृत, अवधी, कश्मीरी, गुरुमुखी, असमिया, बांग्ला, मैथिली और गुजराती में रामकथा सुनेंगे।

रंगनाथस्वामी मंदिर, तिरुचिरापल्ली

प्रधानमंत्री शनिवार को यहां कम्ब रामायणम का पाठ सुनेंगे। मान्यता है कि विष्णु की जिस मूर्ति की पूजा राम के पूर्वज करते थे, उसे लंका ले जाने के दौरान विभीषण ने श्रीरंगम में स्थापित कर दिया था। तमिल कवि कंबन ने यहीं पर कम्ब रामायण की पहली प्रस्तुति की थी।

अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर, रामेश्वरम

माना जाता है कि इस मंदिर में मुख्य 'लिंगम' की स्थापना और पूजा राम और सीता ने की थी। यहां भगवान शिव के रूप रामनाथस्वामी की पूजा होती है। चार धामों बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम में शामिल यह तीर्थस्थल देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है।

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कोठंडारामस्वामी मंदिर, धनुषकोडी


कोठंडाराम नाम का अर्थ धनुषधारी राम है। यह मंदिर कोठंडाराम स्वामी को समर्पित है। मान्यता है कि यहीं पर विभीषण पहली बार राम से मिले थे और उनसे शरण मांगी थी। यह भी कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहां राम ने विभीषण का राज्याभिषेक किया था।

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