पहली भारत-मध्य एशिया शिखर वार्ता में जिन देशों के हिस्सा लेने की जानकारी मिली है उसके मुताबिक कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी। बता दें कि इससे पहले वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मध्य एशियाई देशों की ऐतिहासिक यात्रा की थी।
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मंत्रालय ने कहा, ‘पहला भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के बढ़ते जुड़ाव का प्रतिबिंब तो है ही साथ ही इससे भारत के रिश्ते पड़ोसियों से और मजबूत होंगे।
इन मुद्दों पर भी चर्चा संभव
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के जरिए भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के कदमों पर चर्चा होने की उम्मीद है। उनके साथ अन्य क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, विशेष रूप से उभरती क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति पर भी विचारों का आदान-प्रदान की संभावना है।
मंत्रालय ने कहा है कि यह शिखर सम्मेलन भारत और मध्य एशियाई देशों के नेताओं की ओर से व्यापक और स्थायी साझेदारी को दिए गए महत्व का प्रतीक है। बता दें कि इससे पहले दावोस एजेंडा के शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा था कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फार्मा प्रोड्यूसर बन गया है।