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अनुच्छेद 370 पर पीएम मोदी ने लिखा लेख, ‘कश्मीर की प्रगति में था बहुत बड़ा कलंक’

पीएम मोदी ने आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक लेख लिखा है। उन्होंने इसको कश्मीर की प्रगति में कलंक करार दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे हमेशा जम्मू और कश्मीर के लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए काम करना चाहते थे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद एक लेख लिखकर अपने विचार शेयर किए है। प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि 11 दिसंबर को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को निरस्त करने पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले के माध्यम से भारत की संप्रभुता और अखंडता को बरकरार रखा है, जिसका हर भारतीय सम्मान करता है। पीएम मोदी ने आर्टिकल 370 को कलंक बताया। उन्होंने अपने लेख में लिखा कि 370, 35ए के कलंक को मिटाना चाहता था। क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर की प्रगति की राह में राह के रोड़े बने हुए थे, जिन्हें हमने हटा दिया है।


'जम्मू कश्मीर के लोगों की पीड़ा को कम करना चाहता हूं'

पीएम मोदी ने यह हमेशा मेरा दृढ़ विश्वास था कि जम्मू-कश्मीर में जो हुआ, वह हमारे राष्ट्र और इसमें रहने वाले लोगों के साथ बड़ा विश्वासघात था। उन्होंने कहा कि इस धब्बे को दूर करने के लिए जो कुछ भी मैं कर सकता हूं, वह करने की मेरी मजबूत इच्छा थी। लोगों के साथ यह अन्याय किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे हमेशा जम्मू और कश्मीर के लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए काम करना चाहते थे।

घाटी के लुभावने परिदृश्य लोगों को किया मोहित

प्रधानमंत्री ने अपने पोस्ट में लिखा- जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लुभावने परिदृश्य, शांत घाटियां और राजसी पहाड़ों ने पीढ़ियों से कवियों, कलाकारों और साहसी लोगों के दिलों को मोहित करता है। यह एक ऐसी जगह है जहां उत्कृष्टता असाधारण से मिलती है, जहां हिमालय आकाश तक पहुंचता है। घाटी की झीलों और नदियों का प्राचीन पानी स्वर्ग को प्रतिबिंबित दर्शाता है। पीएम मोदी ने कहा कि बीते सात दशकों से इन जगहों पर हिंसा और अस्थिरता के सबसे बुरे रूप देखने को मिले।

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लोगों को उनके अधिकारी और विकास से रखा गया दूर

पीएम मोदी ने लिखा कि बुनियादी शब्दों में कहें तो आर्टिकल 370 और 35 (ए) मुख्य बाधाओं की तरह थे। गरीबों और दलित पीड़ितों के लिए यह एक अटूट दीवार की तरह था। आर्टिकल 370 और 35 (ए) की आड़ में तय किया गया था कि जम्मू और कश्मीर के लोगों को कभी भी उनके अधिकार और वैसा विकास ना मिले, जो उनके साथी भारतीयों को मिल रहा है।

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