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फिलिस्तीन मुद्दे पर मोदी सरकार को प्रियंका गांधी ने घेरा, विदेश नीति पर उठाए सवाल

प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। दरअसल, एक के बाद एक पश्चिमी देश फिलिस्तीन को संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस का मानना है कि देश की मोदी सरकार फिलिस्तीन के मुद्दे पर उदासीन रवैया अपनाए हुए है।

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Priyanka Gandhi Israel Genocide Remarks

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा। (फोटो: iANS)

कांग्रेस नेता व सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi) ने फिलिस्तीन (Palestine) और विदेश नीति (foreign policy) के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। मोदी सरकार की विदेश नीति को लेकर उन्होंने कहा कि पिछले 20 महीनों में फिलिस्तीन के प्रति हमारी नीति शर्मनाक और नैतिक शुद्धता से रहित रही है। यह पहले के साहसी रुख का दुखद ह्रास है। इसी के साथ ही, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन द्वारा फिलिस्तीन को 'स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र' के रूप में मान्यता देने के फैसले की सराहना की।

भारत ने साल 1988 में दी थी मान्यता

प्रियंका गांधी ने कहा कि साल 1988 में भारत उन पहले देशों में शामिल था, जिन्होंने फिलिस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दी थी। उस समय और वास्तव में फिलिस्तीनी लोगों के वीरतापूर्ण संघर्ष के दौरान हमने अंतरराष्ट्रीय मंच पर सही के लिए खड़े होकर और मानवता व न्याय के मूल्यों को कायम रखकर दुनिया को राह दिखाई। प्रियंका ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन ने 37 साल की देरी से ही सही, लेकिन फिलिस्तीन को मान्यता दी।

बता दें कि प्रियंका गांधी लगातार फिलिस्तीन के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमलावर रही है। भारत ने हाल के वर्षों में इजरायल के साथ रणनीतिक और रक्षा संबंधों को मजबूत किया है, जिसे विपक्ष बार-बार 'फिलिस्तीन के प्रति उदासीनता' के रूप में दिखाता है।

फिलिस्तीन ने UK, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का किया धन्यवाद

वहीं, फिलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया को धन्यवाद देते हुए इसे 'साहसिक और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप फैसला' बताया है। 'स्टेट्स ऑफ फिलिस्तीन' ने X पर लिखा कि विदेश मंत्रालय और प्रवासी मंत्रालय उन देशों का स्वागत करता है और उनके प्रति आभार व्यक्त करता है, जिन्होंने फिलिस्तीन को स्वतंत्र और संप्रभु मुल्क के रूप में मान्यता दी है। यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के साहसिक निर्णयों को अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय वैधता प्रस्तावों के अनुरूप मानता है।