क्या है मानहानि का मामला?
दरअसल 2019 में वायनाड से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रचार करते समय राहुल ने कहा था कि “सभी चोरों का सरनेम मोदी होता है।” इस मामले पर राहुल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया गया था। 3 साल से भी ज़्यादा समय के बाद कल राहुल पर सूरत कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उन्हें दोषी करार दिया। इसके बाद से ही उनकी लोकसभा सदस्यता पर तलवार लटक गई थी और आज वो हुआ जैसा सभी ने सोचा था। लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat) ने आज राहुल गांधी की लोकसभा सांसद की सदस्यता रद्द कर दी है।
वायनाड सीट का क्या होगा भविष्य?
राहुल गांधी की सांसद के तौर पर लोकसभा सदस्यता रद्द होने का असर उनकी सीट वायनाड पर भी पड़ सकता है। सदस्यता रद्द होने की वजह से लोकसभा सचिवालय वायनाड सीट को रिक्त घोषित कर सकता है। ऐसे में चुनाव आयोग वायनाड सीट के लिए स्पेशल चुनाव का ऐलान कर सकता है।
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आगे क्या हैं विकल्प?
यह बात साफ है कि लोकसभा सांसद की सदस्यता रद्द होने के बाद राहुल चुपचाप नहीं बैठने वाले। राहुल की लोकसभा सांसद के तौर पर सदस्यता रद्द होने का असर उनकी पार्टी पर भी पड़ेगा। इससे राहुल अगले 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे और इसका असर 2024 और 2029 में देश में होने वाले लोकसभा चुनाव में काँग्रेस पर पड़ेगा। ऐसे में जानना ज़रूरी है कि राहुल के पास आगे क्या विकल्प हैं। इस फैसले के खिलाफ राहुल सेशन कोर्ट में जा सकते हैं जिसके लिए उनके पास 30 दिन का समय है। सेशन कोर्ट से सज़ा पर स्टे लगने पर राहुल को राहत मिल सकती है। पर ऐसा नहीं होने पर उन्हें हाई कोर्ट/सुप्रीम कोर्ट जाना होगा।
हाई कोर्ट/सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने पर राहुल की सांसद के तौर पर लोकसभा सदस्यता बरकरार रह सकती है। पर राहत नहीं मिलने पर राहुल की सदस्यता रद्द ही रहेगी।