
नई दिल्ली। तहरीक ए हुर्रियत के नेता सैयद अली शाह गिलानी का निधन ( Syed Ali shah Geelani Death ) हो गया। वे 92 साल के थे। श्रीनगर ( Srinagar ) के हैदरपोरा स्थित अपने निवास पर उन्होंने 10 बजकर 35 मिनट पर अपनी अंतिम सांस ली। उन्हें सोपोर या फिर हैदरपोरा में दफन किया जा सकता है। फिलहाल इस इलाके की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है और कोरोना प्रोटोकाल के तहत ज्यादा भीड नहीं जुटाई जा सकती है।
गिलानी के निधन के बाद एहतियातन कश्मीर घाटी में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित ( Internet Suspend ) करने के साथ कई प्रतिबंध लगाए गए हैं।
हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद पूरी कश्मीर घाटी में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। कश्मीर जोन के पुलिस महानिरीक्षक (IG) विजय कुमार ने बताया कि हैदरपोरा को पूरी तरह से कटींली तार बिछाकर सुरक्षित किया गया है तो सोपोर में भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
श्रीनगर आने वाले सभी मार्गों की सुरक्षा को और भी पुख्ता किया गया है। आईजी कश्मीर ने बताया कि हालात को देखते हुए तत्काल प्रभाव से इंटरनेट को पूरी कश्मीर घाटी में बंद कर दिया गया है। कश्मीर में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगाए गए हैं। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए संवेदनशील जगहों पर सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है।
गिलानी के घर के पास भारी पुलिस बल तैनात
गिलानी के घर के आसपास भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है और जाने वाले रास्तों को सील कर दिया गया है। परिवार, रिश्तेदार और पड़ोसियों के अलावा किसी को भी वहां जाने की अनुमति नहीं दी गई।
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट करते हुए शोक जताया और परिवार और शुभचिंतकों के प्रति संवेदना जताई। उन्होंने कहा कि वह गिलानी साहब के निधन की खबर से दुखी हूं। हम ज्यादातर बातों सहमत नहीं रह सके लेकिन मैं दृढ़ता और विश्वासों के साथ खड़े होने के लिए उनका सम्मान करती हूं। अल्लाह ताला उन्हें जन्नत दें और उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति संवेदना।
तीन बार विधायक बने थे गिलानी
कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी का जन्म 29 सितंबर 1929 को हुआ था। वह जम्मू-कश्मीर में एक पाकिस्तान समर्थक कश्मीरी अलगाववादी नेता थे। सबसे पहले गिलानी ने जमात-ए-इस्लामी की सदस्यता ली लेकिन बाद में तहरीक-ए-हुर्रियत की स्थापना की।
गिलानी तीन बार विधायक भी रह चुके हैं। पिछले तीन दशकों से कश्मीर में उन्होंने युवाओं को आतंक के रास्ते पर धकलने में कोई कोई कोर कसर नहीं छोडी। हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े से ताल्लुक रखने वाले गिलानी ने पिछले वर्ष राजनीति और हुर्रियत से इस्तीफा दे दिया था।
गिलानी ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष रहे। वह 1972, 1977 और 1987 में जम्मू-कश्मीर के सोपोर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने थे। उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत छोड़ दी। पिछले कई वर्षों में खराब स्वास्थ्य के कारण वह कम सक्रिय थे। इसी वजह से कई बार उनके मौत की खबर उड़ी। गिलानी का परिवार उन्हें हैदरपोरा में दफनाना चाहता है। हालांकि अभी यह तय नहीं हो सका है कि उन्हें कहां दफन किया जाएगा।
Published on:
02 Sept 2021 08:03 am
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