आरएसएस ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है, “देश में बढ़ती धार्मिक कट्टरता ने विकराल रूप ले लिया है जिसका असर कई जगहों पर बढ़ने लगा है। केरल, कर्नाटक में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्याएं इसका बड़ा उदाहरण हैं। सांप्रदायिक उन्माद, रैलियां, प्रदर्शन, संविधान की आड़ में सामाजिक अनुशासन का उल्लंघन, रीति-रिवाजों और परंपराओं और धार्मिक स्वतंत्रता को उजागर करने वाले कायरतापूर्ण कृत्यों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। मामूली कारणों को भड़काकर हिंसा भड़काना, अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देना भी बढ़ रहा है।”
आरएसएस की वार्षिक रिपोर्ट में आगे दावा किया गया है कि “पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश आदि जैसे राज्यों में हिंदुओं के नियोजित धर्मांतरण के बारे जानकारियाँ सामने आती रही हैं। ऐसी घटनाओं का लंबा इतिहास रहा है लेकिन अब धर्म परिवर्तन के लिए अलग-अलग तरह के तरीके अपनाए जाने लगे हैं। यह सच है कि हिंदू समाज के सामाजिक और धार्मिक नेतृत्व और संस्थाएं कुछ हद तक जाग गई हैं और इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए सक्रिय हुई हैं। इस दिशा में अधिक योजनाबद्ध तरीके से संयुक्त और समन्वित प्रयास करना आवश्यक हो गया है।”
खराब माहौल बनाने की साजिश
आरएसएस ने ये भी दावा किया कि एक तरफ समाज जाग रहा है और स्वाभिमान के साथ खड़ा हो रहा है तो दूसरी तरफ दुश्मन ताकतें जो इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रही वो समाज में एक खराब माहौल बनाने की साजिशों को अंजाम दे रही हैं।” इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि “मई 2021 में पश्चिम बंगाल में हुई घटनाएं राजनीतिक दुश्मनी और धार्मिक कट्टरता का परिणाम थीं।”
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