
आरएसएस नेता सी आर मुकुंदा
Three-language formula: त्रिभाषा फॉर्मूले को लेकर बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और तमिलनाडु के बीच बढ़ते विवाद के बीच आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। आरएसएस ने त्रि-भाषा फार्मूला के इस्तेमाल की वकालत करते हुए कहा कि व्यक्ति की मातृभाषा, उस व्यक्ति के निवास की क्षेत्रीय भाषा और करियर की भाषा जो अंग्रेजी या कोई अन्य भाषा हो सकती है। शुक्रवार सुबह बेंगलुरु में शुरू हुई तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) की पहली प्रेस कांफ्रेंस में संघ ने डीएमके समेत त्रि-भाषा फार्मूले पर विवाद बढ़ाने वालों पर हमला बोला है।
संघ ने कहा कि डीएमके ने उन ताक़तों के बारे में चिंता व्यक्त की जो राष्ट्रीय एकता को चुनौती दे रही हैं, खासकर उत्तर-दक्षिण विभाजन को बढ़ाकर, चाहे वह परिसीमन हो या भाषाएं। परिसीमन के बारे में पूछे जाने पर आरएसएस नेता सी आर मुकुंदा ने कहा कि यह सरकार का फैसला है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि दक्षिणी राज्यों को इस अभ्यास में नुकसान नहीं होगा। अगर किसी दक्षिणी राज्य में 543 में से कुछ संख्या में लोकसभा सीटें हैं, तो उस अनुपात को वैसे ही रखा जाएगा।
आरएसएस नेता सी आर मुकुंदा ने कहा कि लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसी चीजें हैं जो ज़्यादातर राजनीति से प्रेरित हैं, जैसे कि रुपये का प्रतीक स्थानीय भाषा में होना। इन चीजों को सामाजिक नेताओं और समूहों को संबोधित करना होगा। आपस में झगड़ना देश के लिए अच्छा नहीं है। इसे सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना चाहिए।
मुकुंदा ने कहा, हमारी सभी रोजमर्रा की चीजों के लिए मातृभाषा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। आरएसएस ने तीन-भाषा या दो-भाषा प्रणाली क्या होनी चाहिए, इस पर कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया है, लेकिन मातृभाषा पर हमने पहले ही प्रस्ताव पारित कर दिया है। मुकुंदा ने कहा, सिर्फ स्कूल सिस्टम में ही नहीं बल्कि समाज में भी हमें कई भाषाएं सीखनी पड़ती हैं। एक हमारी मातृभाषा है, दूसरी क्षेत्रीय भाषा या जहां हम रहते हैं वहां की बाज़ार की भाषा होनी चाहिए। अगर मैं तमिलनाडु में रहता हूं, तो मुझे तमिल सीखनी होगी।
अगर मैं दिल्ली में रहता हूँ, तो मुझे हिंदी सीखनी होगी क्योंकि मुझे बाजार में स्थानीय लोगों से बात करनी होती है। कुछ लोगों के लिए, करियर की भाषा भी जरूरी है। अगर यह अंग्रेज़ी है, तो उसे अपने करियर के लिए उसे भी सीखना चाहिए। इसलिए करियर की भाषा है, क्षेत्रीय भाषा है और मातृभाषा है, जिस पर आरएसएस हमेशा जोर देता है।
Updated on:
21 Mar 2025 08:23 pm
Published on:
21 Mar 2025 04:24 pm
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
